आज़मगढ़, यूपी
मौजूदा सरकार में हाईकोर्ट के आदेश भी प्रशासन के सामने बेनामी साबित हो रहा है। आज़मगढ़ प्रशासन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मिली ज़मानत के बाद भी एमआईएम के पूर्व ज़िलाध्यक्ष कलीम जामई को देर रात तक रिहा नहीं किया गया। कलीम जामई के समर्थक जब सुबह जेल पहुंचे तो उनके साथ ज़मानत पाए कुछ लोगों को तो रिहा किया गया लेकिन कलीम जामई को गेट पर रोक लिया गया।
कलीम जामई के रिहाल न होने पर एक तरफ उनके परिवार वालों ने दोबारा कोर्ट का रुख किया है तो दूसरी तरफ रिहाई मंच ने इस मामले में पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह दबाव में कलीम जामई को रिहा नहीं कर रही है। इस संबंध में ज़िले का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि “मोहम्मद आदिल और अकरम से सूचना मिली कि कलीम जामई पुत्र अज़ीज़ अहमद ग्राम कोरौली खुर्द, थाना सरायमीर, आज़मगढ़ को माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6 फरवरी को जमानत दे दी थी। पुलिस ने जमानत दस्तावेजों के सत्यापन में दो सप्ताह का समय लिया। सत्यापन में विलंब को लेकर परिजनों ने रासुका लगाए जाने की आशंका जताते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ से मिलकर शिकायत भी की थी।“
बयान में आगे लिखा गया है कि “आज रिहाई का परवाना जारी होने के बाद जब आदिल, अकरम समेत उनके परिजन रिहाई के लिए जेल पहुंचे तो एक जेलकर्मी ने बताया कि रासुका लगाने हेतु कलीम की रिहाई रोकने के निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले भी रासुका लगाने की आशंका के संबंध में 13 फरवरी को पत्र द्वारा आपको अवगत कराया जा चुका है. पत्र इस पत्र के साथ संगलग्न है. न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद रिहाई रोककर रासुका की कार्रवाई का किया जाना न्याय का मखौल उड़ाना होगा।“