अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार को मस्जिद में हुए भीषण विस्फोट में मृतकों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है। स्थानीय लोगों ने कहा कि मुस्लिमों के पवित्र महीने रमजान के आखिरी शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए सैकड़ों लोग एकत्र हुए थे और खलीफा आगा गुल जान मस्जिद खचाखच भरी हुई थी। उन्होंने कहा कि हताहतों की संख्या में और वृद्धि होने की आशंका है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद नफी ताकोर ने अधिक जानकारी नहीं दी और कहा कि तालिबान सुरक्षाकर्मियों ने क्षेत्र को घेर लिया है। उन्होंने कहा कि विस्फोट के स्रोत का तत्काल पता नहीं चल पाया है और किसी ने भी अभी तक विस्फोट की जिम्मेदारी नहीं ली है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि विस्फोट इतना भीषण था कि मस्जिद के आसपास की इमारतें हिल गईं। विस्फोट के बाद एम्बुलेंस को घटनास्थल की ओर जाते देखा गया। यह मस्जिद अफगानिस्तान के बहुसंख्यक सुन्नी मुसलमानों की है।
अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों को निशाना बनाया गया
अफगानिस्तान में हाल में कई विस्फोट हुए हैं और मस्जिदों पर इसी तरह के हमलों में देश के अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों को निशाना बनाया गया है। युद्ध में घायल लोगों का ही इलाज करने वाले काबुल के एक आपातकालीन अस्पताल ने ट्वीट किया कि उसके कर्मचारियों ने बताया कि विस्फोट के बाद कम से कम 20 घायल लोगों को भर्ती कराया गया।
मस्जिद-धार्मिक स्कूल में विस्फोट से 33 शियाओं की हुई मौत
पिछले हफ्ते, मजार-ए-शरीफ शहर में एक मस्जिद और एक धार्मिक स्कूल में बम विस्फोट होने से 33 शिया लोगों की मौत हो गई थी। आईएस ने उस हमले की जिम्मेदारी ली है। वहीं, अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठन ने देश के उत्तरी हिस्से में गुरुवार को हुए दो बम विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है। इन बम धमाकों के जरिये देश के अल्पसंख्यक हजारा समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था।