नई दिल्ली
दिल्ली में जेएनयू के छात्रों पर लाठीचार्ज की कवरेज कर रहे पत्रकारों और फोटोग्राफरों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। दिल्ली पुलिस ने उन्हें मारा-पीटा। फोटोग्राफरों को कैमरे तोड़ दिए गए गए। एक पत्रकार सुयश सुप्रभ ने सोशल मीडिया पर इस पर विस्तार से लिखा है। केंद्र की मोदी सरकार के अधीन दिल्ली पुलिस की दादगीरी आप भी पढ़िए-
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्टर अनुश्री कल ज़मीन पर गिरे एक लड़के को पीट रहे पुलिसवालों की तस्वीर ले रही थीं। पास खड़े एक अफ़सर ने कहा, “इसका कैमरा तोड़ दो।” फिर अनुश्री का कैमरा छीन लिया गया।
एक दूसरी पत्रकार को एक पुलिसवाले ने धक्का दिया और ऐसा करते हुए उसकी छाती दबाई। बाद में पुलिस ने सफ़ाई दी कि उस पुलिसवाले ने महिला पत्रकार को छात्रा समझ लिया था। अब सवाल यह है कि क्या छात्रा का स्तन दबाना अपराध नहीं है। अगर नहीं है तो सरकार इसकी घोषणा कर दे। पुलिस मैनुअल में इसे शामिल तो नहीं कर दिया गया है?
फ़र्स्टपोस्ट के पत्रकार प्रवीण सिंह को हाथ में गहरी चोट लगी। दूसरे पत्रकारों के साथ भी बहुत कुछ हुआ।
ये कैमरे फ़ोटोजर्नलिस्टों ने पुलिस मुख्यालय के सामने रखे हैं। विरोध जताते हुए। कुछ तस्वीरें बहुत बड़ी कहानी कह देती हैं। यह उन्हीं तस्वीरों में से एक है।