डॉ अशफाक़ अहमद
लखनऊ, यूपी
मौजूदा दौर में समाज में हर तबके में गिरावट हो रही है। इसका असर भी समाज के हर हिस्से में हो रहा है। चाहे वो समाज सेवा हो या चिकित्सा सेवा या फिर राजनीति। पर समाज में कुछ पेशे ऐसे है कि उनसे समाज नैतिकता की उम्मीद करता है। उनमें एक पेशा पत्रकारिता का है। पत्रकारिता में भी समाज से जुड़े लोग आते है और समाज में गिरावट का असर यहां भी साफ दिखाई दे रहा है।
देश का दिल कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को देखिए… किसी ज़माने में पत्रकारों की नर्सरी कहे जाने वाले इस शहर में अब पत्रकारिता कम ही दिखाई नहीं देती है। शहर में सिर्फ पत्रकारों के नाम पर भीड़ है… जो रैली, जनसभा, प्रेस कांफ्रेंस या फिर कोई सम्मेलन होने पर खाने की तरफ दौड़ती नज़र आती है।
ऐसा ही एक ताज़ा मामला सामने आया है। बीजेपी में ताज़ा-ताज़ा शामिल हुए बुक्कल नवाब जो कि एमएलसी भी है। बुक्कल नवाब अपने संगठन के नाम पर एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करते हैं। इसके लिए वो बाकायदा एक प्रेस इंफार्मेशन जारी करते हैं। इस इंफार्मेशन में वो कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा बताते हैं।
उसके बाद उसी इंफार्मेशन वो कुछ ऐसा लिखते हैं जिसे कोई भी पढ़ कर पत्रकारों की दिशा और दशा का अंदाज़ा लगा सकता है। बुक्कल नवाब लिखते हैं कि “उक्त बैठक में 11:30 बजे से ही आपके आदेशानुसार वेटर आपकी सेवा में लगे रहेंगे।” बुक्कल नवाब इसके आगे भी लिखते हैं, “कृपया वेज या नानवेज भोजन करके ही जाने की प्रार्थना स्वीकार करने का कष्ट करें”
दरअसल बुक्कल नवाब पहले समाजवादी पार्टी में थे। सत्ता बदलने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। वो एमएलसी बन गए हैं। वो टीवी चैनलों के मशहूर गेस्ट के तौर पर जाने जाते हैं। उनकी मौजूदगी न्यूज़ चैनलों को टीआरपी देती है। यही वजह है कि उन्हें लखनऊ के पत्रकारों के बारे में पता है कि उन्हें किस तरह बुलाया जा सकता है।
ऐसा नही है कि पत्रकारों के बारे में ये पहली बार हुआ है। इससे पहले बीजेपी की सरकार बनने पर विधान सभा के अंदर बिन बुलाए कैंटीन में पहुंच गए पत्रकारों के हाथों से प्लेट छीन ली गई थी। ये अलग बात है कि हंगामा करने पर उन्हें प्लेट वापस मिली पर उनकी गैरत नहीं जागी। अब ऐसे पत्रकारों से आप बेहतर लेखनी की उम्मीद कर रहे हैं तो ये खता आपकी है।