नई दिल्ली
पिछले दिनों लोकसभा नतीजे आने के बाद समाजवादी पार्टी की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है जिसमें देश के सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के ब्यूरो प्रमुख को संबोधित करते हुए लिखा गया कि चैनल की तरफ से सपा के किसी भी नेता को ना बुलाया जाए। अब उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए कर्नाटक की सत्ताधारी पार्टी जेडीएस ने भी यही काम किया है।
दरअसल बीते शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की स्वीकृति से यह फैसला लिया गया कि अभी तक जितने पैनलिस्ट नामित किए गए थे उन सभी का नॉमिनेशन तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया। इसके साथ ही मीडिया वालों से स्पष्ट कर दिया गया है कि चैनल की तरफ से सपा के किसी भी नेता को ना बुलाया जाए।
JD(S) working president MS Narayanrao issues circular to all leaders, spokespersons and MLAs of the party asking them to not participate in TV debates and give any statements to media. pic.twitter.com/TPlf8bltAb
— ANI (@ANI) May 26, 2019
अब यही फैसला जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने भी लिया। जिन्होंने अपने फरमान में कहा है कि पार्टी के प्रवक्ता और विधायक टीवी बहस में भाग नहीं लेंगे और ना ही प्रिंट मीडिया को कोई बयान जारी करेंगे।
कोई भी विधायक मीडिया से बात नहीं करेगा। इसके साथ ही जेडीएस का कोई इंटरव्यू नहीं होगा। नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई की जाएगी।
यहां पर ये भी बताना ज़रूरी है की समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और बहुजन समाज पार्टी जैसे राजनीतिक दलों का सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी ने किया है तो वो है ‘मीडिया’।
ये बात बहुजन समाज पार्टी को बहुत पहले से पता थी और उसने कभी भी मीडिया को मुंह नहीं लगाया लेकिन समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल तब भी असमंजस की स्थिति में थे। 2019 के चुनाव में जहां ये दल केंद्र की सत्ता निर्धारित करने की क्षमता रखते थे वहां पर बमुश्किल कुछ ही सीटें जीतने में कामयाब रहे।