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22 Dec 2024, Sun

अज़ीम सिद्दीकी

जौनपुर, यूपी
उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने व उस पर लगाम लगाने के लिए समय-समय अधिकारियों के निर्देश दिए जाते रहे है। जिसका कोई असर नहीं देखने को मिल रहा है। बल्कि कमीशन के चक्कर में योगी आदित्यनाथ की सरकार में अधिकारी, कर्मचारी निर्भीक होकर भ्रष्टाचार करने में लगे हुए है। उनको दिनचर्या बन गई है। लाख कोशिश कर ले सरकार लेकिन भ्रष्ट अधिकारी व ठेकेदार पैसों की लालच में कुकर्म पर उतारू हो जाते है। इनके खिलाफ यदि कोई आवाज उठाने के कोशिश भी करता है तो उनके अपने चहेतों द्वारा सन्देश भेज कर दबा दिया जाता है और आवाज उठाने वाले को आवाज उठाने की सुबुगाहट से ही अपने लाग-लपेट में लेकर ब्रेनवास कर देते है ताकि जरा सा भी च्यू न करने पाएं।

ताज़ा मामला स्थानीय क्षेत्र के एक गांव का जहां पानी निकासी के लिए एक पक्का नाला बनावाया गया है। जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक भारी रकम से बनाने वाले नाले के पैसों बन्दर बाट करके गुणवत्ता विहीन निर्माण कर इति श्री कर लिया गया। प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री ने जनता के हितों को ध्यान में रख कर उनकी समस्याओं को संज्ञान में लेते हुए अपनी विधान सभा क्षेत्रों काम किया जा रहा है। तथा जनता की समस्याओं को निस्तारित किया जा रहा है। लेकिन अधिकारी व ठेकेदारों की मिली भगत से उनकी शाख में बट्टा लगाया जा रहा है। जिसका दंश मंत्री को झेलना पड़ रहा है।

23 LAKH SEWER WAS WASHED AWAY IN 23 DAYS THE MINISTER INAUGURATED 1 061019

काश एक बार हुए कामों की गुणवत्ता भी देख लेते को कितना अच्छा होता दूध का दूध पानी का पानी नजर आ ही जाता। या ऐसा करना मुनासिब नही समझ रहेंगे होंगे। आखिरकार 23 लाख की सरकारी लागत से नाला बनाने के बाद बरसात से पहले ही धराशाही हो गया। किसी तरह बैशाखी पर पुनः खड़ा किया गया तो पहली ही बरसात नही झेल पाया और जमीदोज़ हो गया। इससे सरकार के कार्यप्रणाली व उनके प्रतिनिधियों पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है जो लाज़मी भी है।

विकास को रफ्तार देने और जनहित को ध्यान में रख कर विकास खण्ड शाहगंज सोंधी के अंतर्गत स्थित गांव गोरारी खलीलपुर में पूर्वांचल विकास निधि 2017 -18 के अंतर्गत कार्यदायी संस्था ग्रामीण अभियंत्रण विभाग जौनपुर द्वारा 23 लाख की सरकारी लागत से 560 मीटर का नाला बनाया गया है। जो उक्त गांव निवासी जयराम प्रजापति के घर से रेलवे ट्रैक स्थित है। जो अब अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा है। जिससे ग्रामीण त्रस्त है और अब पहली वाली अवस्था फिर से झेल को विवश है। इसके साथ ही साथ पानी निकासी न होने से भारी बरसात होने के आशंका से सबकुछ डमाडोल होने से भयभीत भी है।

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विधानसभा चुनाव में सदर विधान से भारतीय जनता पार्टी से गिरीश चन्द्र यादव विधायक चुने गए थे। उत्तर-प्रदेश सरकार ने इनका ओहदा बढ़ाते हुए विधायक से राज्यमंत्री का दर्जा देकर कद बढा दिया। ताकि जनता के बीच रहने वाले विधायक विकास को धार दे सकेंगे। लेकिन इसका एकदम उल्टा देखने को मिल रहा है। कागजो में विकास की गंगा बहाई जा रही है। लेकिन हकीकत गांवों में आकर देखते तो मामला उसके बिल्कुल विपरीत नज़ारा देखने को मिलता। विकास के नाम पर लूट मची हुई है जितना मन करें लूट लो के तर्ज़ पर काम किया गया है आगे हो भी रहा है।

तस्वीरे देखते आप को खुद अन्दाज़ा लग जायेगा। काम के बाद लगे बोर्ड में कितने की लागत और कितने दूर नाला का निर्माण कराया गया है।इसका कही कोई जिक्र तक लगे बोर्ड में नहीं किया गया है। लगे हुए शिलापट्ट पर दूरी और लागत तथा कार्यदाई संस्था और किस निधि से निर्माण होना है सब कुछ स्पष्ट अंकित होता है यह सब शिलापट्ट पर न होने से कार्यदायी संस्था की मनसा स्पष्ट लग रही है। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है। गांवों की जनता सरकार को सुबहोशाम कोस रही है। समस्या को कम करने के बजाये समस्या बढ़ रही है।

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बेलगाम हुए भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी सरकार के नाक के नीचे भ्रष्टाचार करने पर आमादा हुए है। सरकार की लुटिया को बचाने और उसे सवारने के बजाएं डुबाने में तन, मन से लगे हुए है। जिसका कोई रोक टोक करने वाला नहीं है। मंत्री विधायक के करीबियों के अनुसार यदि काम ठीक हो रहा है तो वाह-वाह, ढोल पीटा जाना चाहिए। यदि उनके हिसाब से काम नही हुआ तो मामला ऊपर तक पहुचा दिया जाता है। फिर डांट फटकार के बाद थोड़ा चढ़ावा चढ़ा दिया जाता है।

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जिससे ऊपर से लेकर नीचे तक सब गदगद फिर अपने हिसाब से इच्छानुसार जितना भी लूट खसोट करना होता है कर लेते है। पैसों की धुंध में सब कुछ भूल जाते है। भेड़ की तरह हाँकते रहिये कोई किसी भी तरह का व्यवधान उत्पन्न नहीं कर सकता है लेकिन यह सब चढ़ावा के बाद ही। इतना ही नहीं बल्कि और प्रश्रय ही मिल जाता है। इसी का जीता – जागता उदाहरण उक्त गांव में लाखों की लागत से बना नाला देख सकते है जो अपना आपबीती बया कर रहा है। पहली ही बरसात को नहीं झेल सका और आगे की बात तो बड़ी दूर की बात है।

उक्त नाले का शिलान्यास के बाद काम शुरू हुआ ग्रामीणों में उम्मीद की एक आस जगी की अब जल जमाव से निजात मिलेगा। गांवों साफ-सुथरा स्वच्छ होगा। राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव द्वारा नवनिर्माण नाले का लोकापर्ण 16 दिसम्बर 2018 को किया गया। इस दौरान सरकार की उपलब्धियां गिनाई गई। ग्रामीण भी खुश हो गए अब समस्याओ का सामना नहीं करना पड़ेगा। जल-जमाव से निजात मिल जाएगी लोकापर्ण से कुछ दिन भी ढंग से बीते नहीं कि पहली बरसात होते ही ढह गया।

सही से कुछ दिन भी ढंग से न टिक पाना क्या दर्शाता है आप ही आकलन कीजिये। स्पष्ट होता है कि मानक के अनुरूप न होना गुणवत्ताविहीन बना देना और बाकी धनों को बन्दर बाट कर लेना। काश लोकापर्ण के दौरान साथ ही साथ मंत्री जी गुणवत्ता को भी परख लेते तो शायद इतना तो पता ही चल जाता कितना ठीक है कितना गलत। यह क्यों नहीं किये इसे मज़बूरी समझा जाये या फिर समयाभाव समझा जाये?

उक्त ग्राम सभा में पानी की निकासी न होने से नाले का निर्माण कराया गया कि अब पानी की निकासी ठीक से हो सकेगी।लेकिन बनाने के चन्द दिन बाद धराशाही हो गया था। लोगों ने बताया कि इसका मरम्मत भी कराया गया फिर भी बरसात होने से ढह गया। जिससे पानी अब नाले के बजाय सड़को पर बहने लगा है जो निकासी पहले होती थी अब नाला टूटने से वह भी नही हो पारही है। भारी मात्रा में जल जमाव है।

इधर मौसम समय- समय पर करवट बदल रहा है जिससे कभी ठंड तो कभी गर्मी होने लगती है। इसके आलवा कभी बादल तो कभी तेज़ धूप के कारण अनेको प्रकार की बीमारियां दस्तक़ दे रही है। नवनिर्माण नाला ढह जाने से गंदा पानी जमा हुआ है। जिससे दुर्गंध उठने लगी है। बीमारियों फैलने की आशंका बनी हुई है। ग्रामीण अपने परिवार व बच्चों को लेकर चिंतित है। डेली काम करने वाले मज़दूर बेचारे यदि घर एक दो बच्चे बीमार हो जाते है तो पेट पाले या फिर बच्चे को इलाज़ कराने के लिए अस्पताल लेकर जाएं। आज भी वही हाल फिर से बरकरार हो गया। जो एक सवालिया निशान खड़ा हो रहा है।

By #AARECH