अब्दुल अज़ीज़
बहराइच, यूपी
इज़राइल के राष्ट्रपति का देश में आगमन और भारत सरकार की ओर से उनकी की जा रही खातिरदारी पर मुसलमानों ने दुख और गुस्से का इज़हार किया है। शुक्रवार की नमाज़ के बाद ज़िले की जामा मस्जिद से एक जुलूस निकाला गया जिसमें हजारों मुसलमानों ने शिरकत की और इज़राइली राष्ट्रपति के दौरे का विरोध किया। ये विरोध प्रदर्शन जमियत उलेमा-ए-हिन्द के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हयातुल्लाह कासमी के नेतृत्व में निकाला गया।
ऐतिहासिक जुलूस काजी पुरा स्थित जामा मस्जिद से चलकर घंटाघर चौराहे पर पहुंचा। यहां राष्ट्रपति को संबोधित चार सूत्री ज्ञापन ज़िला प्रशासन को पेश किया गया। इस मौके पर मौलाना हयातुल्लाह कासमी ने कहा कि मुसलमान दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी देश इज़राइल के राष्ट्रपति रेयुलेन के भारत दौरे और उनके स्वागत की निंदा करता है। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान की जनता ने हमेशा फिलिस्तीनी अवाम ज़का का समर्थन किया है और इज़रायली आक्रामकता और आतंकवाद के शिकार तबाह फिलिस्तीनियों के साथ सहानुभूति जताई है।
मौलाना कासमी ने कहा कि दशकों से हमारे देश की विदेश नीति मानवाधिकार संरक्षण और विश्व शांति के समर्थन में रही है, लेकिन इन दिनों यह विचलन की राह पर चल रही है। हम सरकार के इस रवैये को पूरी तरह से गलत और देश की प्राचीन सभ्यता और परंपरा के खिलाफ मानते हैं और इसे खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि इज़राइल से भारत के राजनयिक संबंध आज से पच्चीस साल पहले शांति के प्रयास के रूप में कायम हुआ था, जिसका उद्देश्य फिलिस्तीन की जनता को न्याय दिलाने का एक प्लेटफार्म मुहैया कराना था, लेकिन इससे फिलीस्तीनी जनता को कोई फ़ायदा नही पहुंचा। हालांकि इज़राइल ऐसे कदम से प्रेरणा पाकर विश्व शक्तियों से सम्बन्ध कायम करने में कमयाब हो गया। यह शक्तियां भी फिलिस्तीन में जारी मानवता विरोधी अत्याचार में लिप्त हैं।
इस जुलूस में मौलाना हयातुल्लाह के अलावा विशेष रूप से मौलाना कारी जुबैर अहमद कासमी, मौलाना इनायत उल्लाह कासमी, मौलाना अबु कफल कलाम कासमी, मौलाना मोहमद कलीम नदवी, मौलाना नज़र कासमी, हाफिज़ मोहीउद्दीन समेत कई मौलाना मौजूद रहे। इस जुलूस में हजारों लोग इज़राइल के खिलाफ आवाज बुलंद नारे भी लगाते रहे।