लखनऊ, यूपी
यूपी में अभी विधान सभा चुनाव होने में काफी समय है। राजनीतिक दल अभी से तैयारियों में लग गए हैं। मुस्लिम राजनीति को लेकर सभी दल हमेशा कई रणनीतियों पर काम करते हैं। सेक्यूलरिज्म के नाम मुसलमानों को इकठ्ठा करके उन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है। दूसरी तरफ मुसलमानों के बीच इत्तेहाद को लेकर भी हर बार कोशिशें होती रही है। मुसलमानों के नाम पर राजनीति करने वाले कई दल इत्तेहाद की बात तो करते हैं पर उनके बीच खुद ही इत्तेहाद नज़र नहीं आता है।
इसी बीच खबर आई कि 9 मुस्लिम राजनीतिक दलों ने एक फ्रंट बनाया है, जिसका नाम “इत्तेहाद फ्रंट” दिया गया है। फ्रंट में तय किया किया कि दूसरे मुस्लिम राजनीतिक दलों से बात करके इसमें शामिल किया जाए। इसी बीच फ्रंट की सबसे बड़े दल पीस पार्टी इससे अलग हो गई। अब इस फ्रंट में भूमिका निभाने वाले इस्माइल बाटलीवाला सोशल मीडिया पर पीस पार्टी के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट डाल रहें हैं।
कौन हैं इस्माइल बाटलीवाला
इस बार भी मुस्लिम राजनीतिक दलों के बीच इत्तेहाद को लेकर कुछ लोग सामने आए। इनमें एक नाम इस्माइल बाटलीवाला का है। बाटलीवाला के बारे में चंद महीनों पहले कोई कुछ भी नहीं जानता था। कहते हैं कि यूपी के डुमरियागंज के रहने वाले इस्माइल बाटलीवाला का फिलहाल मुंबई में बाटली का कारोबार है। वह “मुस्लिम यूनिटी कंपेन” नामक एक तथाकथित संगठन चला रहे हैं। इस संस्था का आफिस कहां है, क्या ये संस्था रजिस्टर्ड है… इस बारे में किसी को कोई खबर नहीं है। इस संगठन का जमीनी अस्तित्व तो कही दिखाई नहीं देता लेकिन सोशल मीडिया खासतौर पर फेसबुक के सहारे वो अपनी दुकान ज़रूर चमकाए हुए हैं।
इत्तेहाद की शुरुआत
इस्माइल बाटलीवाला ने “मुस्लिम यूनिटी कंपेन” के बैनर तले मुस्लिम राजनीतिक दलों के बीच इत्तेहाद को लेकर एक लंबा सा खत लिखा है। इसमें पूरे देश सभी मुस्लिमों दलों के नाम को शामिल किया गया है। बाटलीवाला पोस्ट के माध्यम से ये फिर खुद जाकर ये पत्र राजनीतिक दलों को सौंप रहे हैं। यूपी में उनकी मुहिम को कुछ हवा तब मिली जब कई छोटे राजनीतिक दल इस बात पर सहमत हो गए कि इत्तेहाद के लिए फ्रंट बनाया जाए।
इसकी कई मीटिंग हुई और तय हुआ कि इत्तेहाद फ्रंट नाम से एक बैनर तले मुस्लिम संगठन साथ आएंगे। कहने को तो फ्रंट में नौ राजनीतिक दल शामिल हुए लेकिन इस फ्रंट में पीस पार्टी और राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल को छोड़ दें तो किसी भी दल का जमीनी स्तर पर तो कोई संगठन है और न ही कोई जमीन। बल्कि यूं कहें तो ये दल सिर्फ कागज़ों तक सीमित हैं। जब फ्रंट बना तो इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मौहम्मद सुलेमान को इसका कंवेनर और इस्माइल बाटलीवाला को कलाहकार बनाया गया।
पीस पार्टी की नाराज़गी
फ्रंट में अहम ज़िम्मेदारी न मिलने के फैसले से पीस पार्टी नाराज़ हुई। दरअसल पार्टी के अध्यक्ष डॉ अय्यूब का मानना था कि इन दलों में पीस पार्टी सबसे बड़ा था, इस नाते से उन्हें इस फ्रंट में खास अहमियत दी जानी चाहिए थी। इसी नाराजगी के चलते पीस पार्टी इससे अलग हो गई। फ्रंट की अगली मीटिंग 6 सितंबर को होनी हैं। सूत्रों की खबर के मुताबिक अगली से पहले एक और दल इस प्रंट से अलग हो जाएगा।
सोशल मीडिया से दुष्प्रचार कर रहें हैं बाटलीवाला
इस्माइल बाटलीवाला पहले डॉ अय्यूब की जमकर तारीफ कर रहे थे लेकिन जैसे ही पीस पार्टी फ्रंट से अलग हुई, बाटलीवाला डॉ अय्यूब के खिलाफ सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट डाल रहे हैं। बाटलीवाला ने डॉ अय्यूब को धेखेबाज़ से लेकर कई अन्य तरह के इलज़ाम लगाए हैं, ये लागातर जारी है। इससे पहले बाटलीवाला ने असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की कोशिश की थी लेकिन ओवैसी ने वक्त नहीं दिया था। उसके बाद वो ओवैसी के खिलाफ भी लगातार पोस्ट डाल रहे थे। बाटलीवाला के सोशल मीडिया एकाउंट पर समर्थकों और विरोधियों के बीच बहस से लेकर गाली-गलौज को देखा जा सकता है। बाटलीवाला की करीब हर पोस्ट धमकी या फिर किसी खिलाफ रहती है जिससे साफ ज़ाहिर होता है कि वह इत्तेहाद की जगह इंतेसार फैला रहे हैं।
बाटलीवाला की मुहिम पर सवाल ?
इस्माइल बाटलीवाला की मुहिम पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं। दरअसल इससे पहले न तो उन्हें कही देखा गया और ही वह किसी सामाजिक मुहिम का हिस्सा थे। अचानक वो इत्तेहाद की बात को लेकर सामने आते हैं। बाटलीवाला खुद को गैर राजनीतिक मानते हैं लेकिन वह राजनीतिक दलों पर अपना सिक्का जमाना चाहते हैं। उनके संगठन पर भी की सवाल है। एक तो वह जेबी संगठन दिख रहा है, दूसरे और कौन लोग उसमें शामिल हैं ये किसी को पता नहीं। बाटलीवाला राजनीतिक दलों को धमकी देने के अंदाज़ में भी बात कर रहे हैं। वो इत्तेहाद में शामिल न होने वालों के खिलाफ लोगों को भड़का रहें हैं जबकि राजनीति में कोई भी नफे-नुकसान को देख कर समझौता करता है।
फ्रंट का दावा और असलियत
दूसरी तरफ फ्रंट का दावा है कि उसकी बातचीत कौमी एकता दल, एमआईएम और मौलाना तौकीर रज़ा की पार्टी से चल रही है। पीएनएस न्यूज़ एजेंसी ने जब इस मामले में इन दलों से राय मांगी तो एमआईएम ने इस तरह के किसी फ्रंट में शामिल होने से साफ कार किया। कौमी एकता दल कीतरफ से भी कोई तवज्जों नही मिली है। जबकि मौलाना तौकीर रज़ा में साफ मना कर दिया।