जौनपुर, यूपी
साल 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। सपा जहां विकास के मुद्दे पर वापसी के लिए हर मुमकिन कोशिश में है, वहीं बीएसपी कानून व्यवस्था और किसान के मुद्दे लेकर चुनावी दंगल में हल्ला बोल चुकी है। इन सब के बीच जौनपुर सदर सीट पर भी लोगों की निगाहें लगी है।
बात बीएसपी की करें तो यहां से चुनाव लड़ने के लिए नाम का एलान भले ही हो गया हो लेकिन कई उम्मीदवार अभी भी उम्मीद बनाए हुए हैं। दरअसल पार्टी सूत्र बताते है कि अगले महीने प्रदेश में कई सीटों पर बीएसपी अपना उम्मीदवार बदल सकती है। इसमें जौनपुर सदर, शाहगंज, केराकत समेत कई सीटें हैं। फिलहाल जौनपुर सदर से जावेद अहमद एडवोकेट का नाम बड़ी तेजी से सामने आया है।
जावेद अहमद एडवोकेट शाहगंज के रहने वाले हैं और उनका लखनऊ और ब्रुनोई में कारोबार है। अभी तक राजनीति में कम ही मौके पर वो खुलकर सामने आए लेकिन सामाजिक कामों की बदौलत में वह लोगों से लगातार संपर्क में रहे। अब जावेद अहमद ने जौनपुर सदर से बीएसपी के टिकट के लिए दावेदारी की है। खबर है कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ उनका तालमेल बेहतर हैं। ऐसे में उन्हें इसका फायदा मिल सकता है।
अभी हाल में संपन्न हुए एमएलसी चुनाव में धनंजय सिंह की वजह से ही बीएसपी उम्मीदवार प्रिंसू सिंह को शानदार सफलता मिली। मालूम हो कि इस चुनाव में सत्ता पक्ष के कई मंत्री, विधायक पूरी फौज के साथ लगे हुए थे। इसके बावजूद सत्तासीन सपा को हार का सामना करना पड़ा था। इस जीत के बाद ज़िले में धनंजय सिंह का कद काफी बढ़ गया है। हालांकि अभी वह बीएसपी से निष्कासित हैं लेकिन पार्टी की हर गतिविधियों और बैठकों में उन्हें देखा जा सकता है। जानकार बताते हैं कि पार्टी जल्द ही उनका निष्कासन वापस ले सकती है।
जौनपुर सदर सीट पर दलित-मुस्लिम गठजोड़ को बनाने के लिए जावेद अहमद एडवोकेट की दावेदारी महत्वपूर्ण है। दूसरी तरफ मौजूदा कांग्रेस विधायक के मौजूदा विधायक का चुनाव लड़ना तय है। सपा के दावेदारों की लिस्ट को देखें तो मालूम पड़ता है कि इस बार सपा की तरफ से भी किसी मुस्लिम उम्मीदवार के आने की पूरी संभावना है। इसमें कई नाम सामने आ रहे हैं। इनमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरशद खान, आज़म ख़ान एडवोकेट, पूर्व विधायक जावेद की पत्नी, अबु तालिब, मोहम्मद जावेद, पूर्व विधायक अफज़ाल अहमद समेत 29 का नाम टिकट की दावेदारी के लिए हैं। ऐसे में बीएसपी भी मुस्लिम और दलित कार्ड के सहारे मैदान में उतार सकती है।