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22 Dec 2024, Sun

आईएएस अधिकारी का है ड्राइवर तो नहीं होगा गिरफ्तार!

IAS CAR DRIVER ACCIDENT ROW IN LUCKNOW 1 120518

लखनऊ, यूपी

सड़क दुर्घटनाएं राजधानी में इन दिनों आम बात हो गई है। सड़क़ पर फर्राटा भरती गाड़ियों पर न तो यातायात पुलिस नियन्त्रण है और न ही सख़्त नियम क़ानून को लागू कराने में पुलिस कोई विशेष कारगर उपाय कर पा रही है। यही कारण है कि राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में हर रोज़ सड़क दुर्घटना में सैकड़ों लोगों की जानें चली जाती हैं। सड़क दुर्घटनाओं में अगर किसी रसूख वाला शामिल हो तो फिर कार्रवाई के नाम पर पुलिस खानापूर्ति भी नहीं करती है।

ऐसी ही एक दुर्घटना राजधानी लखनऊ में हुऊ है जहां एक आईएएस के ड्राइवर ने तेज़ रफ्तार कार से एक स्कूली बच्चे को जख्मी कर दिया है। अपने रसूख के चलते आईएएस ने इस मामले में पुलिस पर दबाव बनाकर केस भी दर्ज करने नहीं दिया है। दुर्घटना में बुरी तरह घायल स्कूली बच्चा अभी अस्पताल में है और उसका परिवार डर और दहशत में हैं।

गोमती नगर के रहने वाले फैज़ान अहमद का 13 साल का बेटा मोहम्मद अली अहज़ाम साइकिल से सुबह गोमती नगर स्थित सिटी मान्टेसरी स्कूल जा रहा था, तभी तेज रफ्तार मारूति शियाज़ यूपी 32 बीजी 7118 ने उसे पीछे से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि अहज़ान पहले कार की बोनट पर उछलकर गिरा। उसके बाद दूसरी तरफ डिवाइडर से टकराया। इस दुर्घटना में अहज़ाम के कूल्हे और पैर की हड्डी फ्रैक्चर हो गई। अहज़म को सर पर भी गहरी चोट लगी है।

मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने अहज़ाम को गोमती नगर स्थित सेन्ट जोसेफ अस्पताल में भर्ती कराया और उसके घरवालों को भी इसकी सूचना दी। इस दौरान कार चालक मौके से फरार हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने कार का नम्बर नोट कर पुलिस को सूचित किया। छानबीन से पता चला कि कार यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी की है और उनका ड्राइवर ये गाड़ी चला रहा था। फैज़ान अहमद ने कार चालक के विरूद्ध थाना गोमती नगर में प्राथमिकी दर्ज कराई।

राजधानी गोमती नगर की पुलिस यह जानने के बाद कि कार चालक एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की सरकारी गाड़ी चला रहा है, उसे गिरफ्तार करने से कतरा रही है। पीड़ित छात्र के पिता का कहना है कि वह कई बार गोमती नगर थाने के चक्कर काट चुके हैं लेकिन पुलिस उन्हें महज़ आश्वासन ही दे रही है। अव सवाल ये है कि एक तरफ जहां योगी सरकार प्रदेश में कानून व्यवस्था सुधारने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की राजधानी की पुलिस कार्ऱवाई करने से कतरा रही है। आखिर एक 13 साल के बच्चे और उसके परिवार को कब इंसाफ मिलेगा।