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22 Nov 2024, Fri

नई दिल्ली,

धारा 370 हटने के बाद से जम्मू कश्मीर में जहां पूरी सख्ताई बरती जा रही है और धारा 144 लगाई गई है, जिससे लोगों का बाहर आना जाना मुश्किल हो चुका है। ऐसे में एक आईएस अफसर ने अपनी नौकरी इसलिए छोड़ दी कि जम्मू कश्मीर में लोगों को ऐसे माहौल में मूलभूत अधिकारों  से वंचित रखा जा रहा है और एक सच्चा नागरिक होने के नाते उन्हें ये नौकरी छोड़ देनी चाहिए।

देश की सबसे प्रतिष्ठित IAS की नौकरी को कन्नन गोपीनाथ (33) ने छोड़ दिया है क्योंकि जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्मकर लाखों लोगों के ‘मूलभूत अधिकार’ छीन लिए गए हैं। गोपीनाथ ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘मेरे इस्तीफे से कोई फर्क तो नहीं पड़ेगा लेकिन हर किसी को अंतर्रात्मा को आवाज देना होता है’।

IAS OFFICER RESIGNS FROM JOB OVER JAMMU KASHMIR ISSUE 2 250819

आपको बता दें कि गोपीनाथ दादर नगर हवेली में कई मुख्य विभागों में सचिव हैं और उन्होंने घाटा झेल रही एक सरकारी बिजली कंपनी के फायदे में ला दिया था। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि 20 दिनों से जम्मू-कश्मीर में लोगों के ‘मूलभूत अधिकार’ छीन लिए गए हैं और ऐसा लगता है कि बाकी भारत इसमें पूरी तरह से सहमत है। यह 2019 में भारत में हो रहा है।

अनुच्छेद 370 को हटाना कोई मुद्दा नहीं है। लेकिन नागरिकों के अधिकार छीन लेना मुख्य मुद्दा है। वह इसका विरोध करते हैं या स्वागत करता हैं वहां के लोगों पर निर्भर करता है। गोपीनाथ ने कहा कि इस मुद्दे ने उन्हे आहत किया है और यह उनके इस्तीफे के लिए काफी है। 7 साल तक भारतीय प्रशासन सेवा में काम करने के बाद उन्होंने 21 अगस्त को इस्तीफा दे दिया है।

एयर पोर्ट पर पूर्व आईएएस शाह फैसल को हिरासत के लेने के मामले में भी कन्नन गोपीनाथ ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी सिविल सोसाइटी ने कुछ नहीं बोला। ऐसा लगता है कि देश के ज्यादातर लोग इन बातों से सहमत हैं। आपको बता दें कि मिजोरम में जब वह कलेक्टर के पद पर तैनात थे उन्होंने पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद को 30 ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए काफी प्रोत्साहित किया था ताकि वहां के बच्चों को बैडमिंटन की ट्रेनिंग दी जा सके।

आपको बता दें कि साल 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान गोपीनाथ ने अपनी पहचान छिपाकर वहां पर लोगों को मदद की थी। इस पर उन्हें सरकार को जवाब भी देना पड़ा था। आईएएस बनने से पहले गोपीनाथ इंजीनियर थे और वह इस दौरान झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाते भी थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात होने वाली पत्नी से हुई जिन्होंने गोपीनाथ को आईएएस बनने के लिए प्रेरित किया।

 

 

By #AARECH