कानपुर, यूपी
कानपुर के जूही लाल कॉलोनी में बीजेपी का कार्यकर्ता बनने पर मोहल्ले के लोगों द्वारा मारपीट का आरोप लगाने वाले शकील अहमद द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद हड़कंप मच गया था। इस मामले में जब पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की तो नया खुलासा हुआ। शकील भाजपा का कार्यकर्ता है नहीं। पुलिस ने जब शकील से पूछताछ की तो वह भी इस बात से मुकर गया। उसका कहना था कि उसने कभी यह नहीं कहा कि वह भाजपा का कार्यकर्ता है। उसका सिर्फ दुकान का विवाद चल रहा है। जिससे सुलटाने के लिए वह कार्रवाई चाह रहा था।
जूही लाल कालोनी निवासी शकील अहमद ने मंगलवार को किदवईनगर थाने में मोहल्ले में रहने वाले शहनवाज़ हुसैन, राशिद हुसैन, रिजवान उर्फ करिया, भल्लू टेलर, पप्पू करिया पर बीजेपी का समर्थन करने पर मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसके बाद पुलिस जांच पड़ताल में जुट गई थी।
एसीपी बाबूपुरवा आलोक सिंह ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर किदवई नगर थाना प्रभारी के नेत्रत्व में एक टीम का गठन किया गया। शकील के बीजेपी से जुड़े होने की जानकारी जुटाई गई। जिसमें जूही के वार्ड 79 के बीजेपी पार्षद पति बिल्लू ने बताया कि शकील अहमद नाम का भाजपा में कोई कार्यकर्ता नहीं है। साथ ही मण्डल अध्यक्ष ने शकील के कार्यकर्ता होने की बात पर इंकार किया।
एसीपी बाबूपुरवा ने आलोक सिंह ने कहा कि इतने बयान लेने के बाद पीड़ित से इस बिन्दु पर बात की गई तो वह खुद इस बात से मुकर गया। शकील का कहना था कि उसने कभी खुद को भाजपा कार्यकर्ता नहीं कहा। यह बात कहां से आई उसे इसकी जानकारी नहीं है।
दुकान है विवाद की असल जड़
शकील अहमद ने 7 साल पहले घर के भूतल में बनी दुकान बारादेवी में रहने वाले रहमानी नाम के व्यक्ति को ज्वैलर्स का काम करने के लिए किराए पर दी थी। 2 साल पहले शकील ने दुकान को खाली करा लिया। जिसके बाद ज्वैलर्स ने घर के बगल में रहने वाले शहनवाज हुसैन के घर में शिफ्ट कर ली। इससे शकील और शहनवाज में ठन गई। इसके बाद दोनों में अक्सर कहासुनी होती थी। जिसके बाद मंगलवार को शकील ने रिपोर्ट दर्ज कराई। एसीपी बाबूपुरवा ने बताया कि विवेचना जारी है। यदि रिपोर्ट में दर्ज बातें गलत पाई जाती हैं। तो कार्रवाई की जाएगी