लखनऊ, यूपी
कानून व्यवस्था में लगातार फेल हो रही प्रदेश की योगी सरकार अब तानाशाही पर उतर आई है। इसी कड़ी में योगी सरकार की लखनऊ पुलिस ने तानाशाही रुख दिखाते हुए लखनऊ में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है। ये कार्यकर्ता प्रदेश के हालात पर प्रेस कांफ्रेंस करने वाले थे। सवाल ये है कि क्या योगी सरकार अब लोगों के मंह पर ताला लगाएगी।
दरअसल यूपी प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस कर रहे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। प्रेस क्लब से गिरफ्तार किये गए लोगो में पूर्व आईपीएस अफसर एस आर दारापुरी, वरिष्ठ राजनेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रो. रमेश दीक्षित, जाने माने दलित चिन्तक राम कुमार और सोशल वर्कर आशीष अवस्थी समेत 9 लोग शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि ये लोग बुंदेलखंड दलित सेना से जुड़े हैं जो प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले थे।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की खबर सुनते ही बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं का पुलिस लाईन पहुंचना शुरू हो गया है। सिर्फ अफवाह पर गिरफ़्तारी की चारो तरफ चौतरफा निंदा हो रही है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और लोगों ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया।
दरअसल ये लोग दलितों के मामले को लेकर प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस करने वाले थे। लखनऊ पुलिस पहले से ही तैयारी में थी। जैसे ही इन लोगों ने प्रेस कांफ्रेंस शुरु की पुलिस ने मानवाधिकार नेता एस आर दारापुरी, दलित चिंतक राम कुमार, पीयूसीएल के आशीष अवस्थी और प्रोफेसर रमेश दीक्षित को हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि प्रेस वार्ता करने आए ये लोग योगी के खिलाफ जुलूस निकाल सकते थे और शांति भंग कर सकते थे। अभी इन सभी हिरासत में लिए गए लोगों को रिजर्व पुलिस लाइन ले जाया गया है।