आज़मगढ़, यूपी
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के कार्यकर्ताओं में उम समय जोश भर गया जब राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी हेलीकॉप्टर से रैली स्थल पर पहुंचे। कार्यकर्ताओं ने स मौके पर जमकर नारेबाज़ी की और मौलाना रशादी का ज़ोरदार स्वागत किया। ज़िले के मोहम्मदपुर गांव में राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने रविवार को रैली आयोजित की थी। अमजद अली इण्टर कॉलेज में आयोजित विशाल ‘‘पोल-खोल रैली‘‘ में भारी भीड़ जुटी।
रैली को संबोधित करते हुए मौलाना आमिर रशादी ने सपा, बीजेपी, बीएसपी और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विकास का नारा देने वाली सपा सरकार ने पिछले 5 सालों में केवल विनाश की राजनीति की है। विकास और काम बोलता है जैसे भ्रामक नारों से इनकी हकीकत अब छिपने वाली नही है। उन्होंने कहाकि प्रदेश सरकार जितना सरकारी धन भ्रामक प्रचार-प्रसार में लगा दी, अगर हकीकत में उतना धन विकास कामों में लगाया होता तो आज झूठे प्रचार-प्रसार का सहारा नही लेना पड़ता।
मौलाना रशादी ने कहा कि सपा सरकार में केवल अपराधियों, गुण्डों, भूमाफियाओं, ठेकेदारों और सत्तासीन नेताओं का विकास हुआ है। सपा सरकार में 500 से उपर दंगें, हज़ारों बलात्कार, सैकड़ों हत्याएं और न जाने कितने अपराध से जनता और प्रदेश का विनाश हुआ है। अगर विकास हुआ होता तो सपा पारिवारिक ड्रामा कर जनता की सहानभूति नही बटोरती और ना ही कांग्रेस की बैसाखी की ज़रूरत होती।
पीएम मोदी पर हमला
मौलाना रशादी कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी ने विकास का मुखौटा सामने रख कर अन्दर से साम्प्रदायिक्ता को ही अपना असल चुनावी पैंतरा बनाया था। सपा और बीजेपी दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। बीजेपी वोटों के ध्रूवीकरणकी राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि आम जनता को विकास बजाए धर्म और जाति के नाम पर उलझाया जा रहा है। बीजेपी नेता आए दिन पूरे प्रदेश में अनाप-शनाप बयान देकर प्रदेश का साम्प्रदायिक माहौल खराब कर रहे हैं। राज्य सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं कर रही है।
मौलाना रशादी ने कहा कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि आजमगढ़ आतंकवाद का केन्द्र है और पूरे आज़मगढ़ वासियों को अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी कह देते हैं। इसके खिलाफ उलेमा कौंसिल मुकदमा दर्ज कराती है लेकिन यहां से सांसद मुलायम सिंह का कोई बयान आता है, और न ही सपा सरकार कोई कार्रवाई करती है।
सपा ने मुस्लिमों को धोखा दिया
मौलाना रशादी ने कहा कि 2012 में अल्पसंख्यकों के वोट से बनी इस सरकार ने अपने घोषणा पत्र में अल्पसंख्यकों के लिए 16 घोषनाएं की थीं लेकिन उनमें से एक भी पूरी नही की गई। 18 फीसदी आरक्षण, बेगुनाहों की रिहाई, उर्दू मीडियम स्कूल, सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता, मदरसों को सरकारी करना आदि जैसे विभिन्न वादों में से किसी पर खरी नही उतर सकी। सीएम अखिलेश आखिर किस मुंह से अल्पसंख्यकों का वोट मांग रहे हैं? उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने आरक्षण के नाम पर न केवल मुस्लिम समाज को ठगा है बल्कि हिन्दु समाज का भी ठगने का काम किया है।
बीएसपी पर निशाना
मौलाना आणिर रशादी ने बीएसपी पर प्रहार करते हुए कहा कि बीएसपी प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल है परन्तु कहीं भी किसी भी जनसमस्या या जनता के विषय पर संघर्ष नहीं किया। उन्होंने कहा कि बीएसपी को जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना ही नही है। मौलाना रशादी ने कहा कि सीबीआई के तोते ने बीएसपी सुप्रीमों की ज़बान बन्द कर रखी है।
कांग्रेस बेहाल
मौलाना रशादी ने कहा कि 27 साल यूपी बेहाल का नारा देने वाली कांग्रेस उत्तर प्रदेश में खुद इतनी बेहाल हो गई है कि उसे समाजवादी पार्टी से एकतरफा गठबंधन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश की जनता आज विकल्प की तलाश में है। राष्ट्रीय उलेमा कौन्सिल एक मज़बूत विकल्प के रूप में जनपद की जनता के सामने खड़ी है। हम कई समान विचारधारा वाले दलों से सम्पर्क में हैं और एक दो रोज़ में पूरे प्रदेश में एक विशाल गठबंधन के रूप में जनता के सामने एक मज़बूत विकल्प पेश करेंगे।
जनसभा को प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह ने भी सम्बोधित किया और कहा कि कौंसिल ने पहले दिन ये नारा दिया था कि एकता का राज चलेगा, मुस्लिम हिन्दू साथ चलेगा और आज कौंसिल अपनी कार्य और नीतियों से आम जनमानस के दिल में अपनी जगह बना चुकी है। समाज के हर वर्ग का साथ व सहयोग हमें मिल रहा है। इसी नारे और अपनी विचारधारा को लेकर हम जनता के बीच वोट मांग रहे हैं।
जनसभा को राष्ट्रीय महासचिव मो ताहिर मदनी, उपाध्यक्ष मो शहाब अख्तर, प्रदेश अध्यक्ष यूथ विंग नुरूलहोदा, प्रवक्ता तलहा रशादी, डा ज़फर आलम समेत कई नेताओं ने भी सम्बोधित किया। जनसभा की अध्यक्षता ज़िलाध्यक्ष शकील अहमद ने की। इस अवसर पर सैकड़ों लोग विभिन्न दलों को छोड़ कर राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल में शामिल हुए। इसमें प्रमुख रूप से मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता शाहज़मा नैयर फेटी, राजेश यादव समाजवादी पार्टी छोड़ अपने दर्जनों साथी संग, विश्वनाथ सिंह अपने साथियों संग बीएसपी छोड उलेमा कौंसिल में शामिल हुए।