जौनपुर, यूपी
पुलिस का काम कानून व्यवस्था को सही करना और सबको न्याय दिलाना है। यही दावा प्रदेश की योगी सरकार कर रही है। बीजेपी ने पिछली सपा सरकार पर कानून व्यवस्था के नाम पर ही सबसे ज़्यादा हमले किए थे। ज़रूरी नहीं कि सरकार बदल जाने के बाद भी व्यवस्था बदल जाए। ऐसा ही कुछ मामला जौनपुर में सामने आया है जहां पर ज़िले के एसपी पर ही मुकदमा दर्ज करने का आदेश कोर्ट को देना पड़ा।
ज़िले के बरसठी थाना क्षेत्र के दतांव गांव के रहने वाले राजेश के घर पर पुलिस द्वारा तांडव मचाने के आरोप में हाईकोर्ट इलाहाबाद के आदेश के बाद सीजेएम ने शनिवार को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। इसमें ज़िले के एसपी केके चौधरी, डिप्टी एसपी, दो एसओ समेत 10 के खिलाफ कई धाराओं में वाद दर्ज किया है। हाईकोर्ट ने थानाध्यक्ष बरसठी से मामले की विन्दुवार जांच करके रिपोर्ट तलब की है।
क्या है मामला
याचिकाकर्ता राजेश दुबे ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया कि 14 जनवरी 2018 को थानाध्यक्ष बरसठी सात-आठ पुलिसवालों के साथ उसके घर पर आ धमके और घर में घुसकर उसकी पत्नी से अभद्रता की। यहीं नहीं थानाध्यक्ष ने उसे औप उसकी पत्नी गालियां दी और साथ में धमकी भी दी। इस मामले में राजेश ने कई बड़े अधिकारियों से शिकायती की। इससे नाराज़ होकर 21 जनवरी को थानाध्यक्ष बरसठी, थानाध्यक्ष नेवढ़िया 40-50 पुलिसकर्मियों के साथ उसके घर पहुंचे। इन लोगों ने कहा कि ज़िले के कप्तान और डिप्टी एसपी का आदेश है कि तुम्हारा नवनिर्मित मकान का बारजा तोड़ दिया जाए। इस मामले में न तो उनके पास कोई कोर्ट का आदेश था और न ही दिखाया।
वादी से नाराज़ हुए थानाध्यक्ष
जब राजेश ने बारजा गिराने के लिए लिखित आदेश मांगा तो दोनों थानाध्यक्ष नाराज़ हो गए। इस दौरान पुलिस ने पड़ोसियों पर दबाव डाल कर राजेश के घर पर ईट-पत्थर फिकवाये। इस मामले में एक स्थानीय पत्रकार के आश्वासन पर वादी राजेश जब अपने घर से बाहर आया तो पुलिस वाले उसे पकड़ कर थाने ले गए और बुरी तरह मारा पीटा। यहीं नहीं रात में दोबारा पुलिस वाले उसके घर पहुंचे और घर पर छड़कर बारजा तोड़ दिया। इस दौरान पुलिसवालों ने उसकी पत्नी से मारपीट और अभद्रता की। पुलिस ने राजेश और उसके पड़ोसी का चालान कर दिया।
उच्चाधिकारियों से नहीं मिला न्याय
इस मामले में वादी राजेश ज़िले के एसपी केके चौधरी के आवास पर जाकर आपबीती सुनायी तो उन्होंने भी गालियां, धमकी देते हुए डांट कर भगा दिया। वादी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डीजीपी को घटना से अवगत कराया। सुनवाई न होने पर राजेश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने एक माह के भीतर वादी राजेश के प्रार्थना पत्र पर विधि सम्मत कार्रवाई करने का निचली अदालत को आदेश दिया। इसी के अनुपालन में आज शनिवार सीजेएम राहुल आनंद की कोर्ट ने प्रकीर्ण वाद दर्ज कर लिया।