लखनऊ, यूपी
एलोपैथ व आयुष के डॉक्टर अक्सर एक-दूसरे के चिकित्सा पद्धतियों की आलोचना तो करते ही रहे हैं। ऐसे समय में जब पिछले कुछ समय से कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों के इलाज में एलोपैथ व आयुष के संयुक्त इस्तेमाल से इलाज की बातें हो रही हैं, इसी बीच एक अखबार ने आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टरों को अपनी खबर में झोलाछाप लिखा है जिससे आयुष डॉक्टरों भारी आक्रोश है।
वहीं आयुष डॉक्टरों का कहना है कि जब आयुष के सरकारी मेडिकल कॉलेज और सभी डॉक्टरों का सरकारी रजिस्ट्रेशन होता है तो आयुष डॉक्टर झोलाछाप कैसे हुए। मालूम हो कि यूपी में करीब 40 हज़ार आयुर्वेदिक, 14 हज़ार यूनानी डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं और बड़ी संख्या में सरकारी अस्पतालों में भी तैनात हैं।
नीमा के एक प्रतिनधिमंडल ने आज रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद से मुलाकात करके उनको हाल ही में अमर उजाला एवं समय समय पर कुछ अन्य अखबारों द्वारा आयुर्वेद यूनानी चिकित्सकों को झोलाछाप की श्रेणी में रखने की कोशिश के खिलाफ नीमा चिकित्सकों में व्याप्त रोष से अवगत कराया। जिस पर उन्होंने सीएमओ एवं जिलाधिकारी को इससे संबंधित कार्रवाई के लिए पत्र भेजने का आदेश दिया।
रजिस्ट्रार महोदय ने 2 दिन के अंदर इस मामले को आयुष मंत्री के संज्ञान में लाकर इसका उचित निराकरण करवाने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इसका समुचित समाधान ना हुआ तो चिकित्सक आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे ।
मालूम हो कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत चलाए जाने वाले टीकाकरण अभियान में आयुष के डॉक्टरों की अहम भूमिका है। देश भर में आयुष के करीब 7.5 लाख डॉक्टर हैं, जो सस्ता व प्रमाणिक इलाज उपलब्ध करा रहे हैं। उन्हें मुख्यधारा से जोड़कर छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी दूर की जा सकती है।