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21 Nov 2024, Thu

अशफाक अहमद

लखनऊ, यूपी
हम शर्मिंदा हैं… क्योंकि सामाजिक कार्यकर्ता राजीव यादव को जब राजधानी लखनऊ के हज़रतगंज चौराहे पर अखिलेश की पुलिस दौड़ा-दौड़ाकर मार रही थी, ठीक उसी समय हम सफेद टोपी लगाए सीएम अखिलेश यादव के साथ चाय की चुस्कियां ले रहे थे। हम शर्मिंदा हैं… क्योंकि जब राजीव यादव को हज़रतगंज पुलिस थाने में ले जाकर दोबारा पीटा जा रहा था, तब हम टोपी वाले सीएम अखिलेश साहब के साथ बैठकर ठिठोली कर रहे थे। हम शर्मिंदा हैं… क्योंकि जब बुरी तरह से घायल राजीव यादव को इलाज के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी ले जाया जा रहा था, ठीक उसी समय हम टोपी वाले सीएम अखिलेश के साथ फोटो खिचवा रहे थे। हम बेहद शर्मिंदा हैं क्योंकि जब रिहाई मंच आतंकवाद के फर्जी आरोप में फंसे बेकसूर मुसलमानों का केस कोर्ट में लड़ रहा था तब हम राजनीतिक दलों को दिल खोलकर चंदा दे रहे थे।

रिहाई मंच और उसकी मज़बूत दीवार राजीव यादव पर बुधवार को जिस तरह से यूपी पूलिस ने हमला किया और उन्हें सरेआम बुरी तरह से मारा-पीटा वो वाकई बेहद शर्मनाक है। राजीव यादव की हालत बेहद गंभीर है और वो किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती हैं। दरअसल रिहाई मंच भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद सिमी कार्यकर्ताओं के भागने और फर्जी इनकाउंटर करने के खिलाफ राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन कर रहा था।

सवाल ये है कि आखिर राजीव यादव को क्या ज़रूरत पड़ी कि वह मुसलमानों के लिए लाठिया खाएं और अपने हाथ-पैर टुड़वाकर अस्पताल में भर्ती हो जाएं। जब मुसलमान ही नहीं चाहते कि उनके मुद्दे हल किए जाएं और मसले उठाए जाएं तो राजीव यादव जैसे सेक्यूलर लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं। मुसलमान कौम की बदहाल होने की यही कहानी है, इसीलए वह बार-बार ऐसे फर्जी इनकाउंटर्स में मारी जाती है और मारी जाती रहेगी। मामला चाहे बटला हाउस का हो, तेलंगाना का हो या फिर भोपाल का… हम ऐसे ही बुरे हालात से रूबरू होते रहेंगे। दरअसल हम तो चाय पर बिकने वाले लोग हैं। जब, जहां, जैसी भी चाय मिलेगी हम बिक ही जाएंगे।

आखिर राजीव यादव और रिहाई मंच सड़क पर क्यों उतरा। लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूत करने के लिए और  मुसलमानों, दलितों और पिछड़ों की आवाज़ को उठाने के लिए रिहाई मंच सरहानीय काम कर रहा है। आतंकवाद का फर्जी आरोप झेल रहे दर्जनों मुस्लिम नौजवानों को रिहाई मंच अब तक जेल की सलाखों से बाहर ला चुका है। रिहाई मंच पीड़ित नौजवानों या उनके परिवार से फीस की एक कौड़ी भी नहीं लेता बल्कि उन्हें घर तक जाने का जिम्मा भी खुद उठाता है। हमें तो ये भी पता नहीं कि जो नौजवान आतंकवाद के फर्जी आरोप में फंसाए जा रहे हैं वो इतने गरीब होते हैं कि उनके पास एक वक्त खाने का पैसा भी नहीं होता। रिहाई मंच का यही काम पुलिस की आंखों में खटकता है, वो नहीं चाहती कि उसके काम में कोई अड़ंगा बने। यहीं वजह है कि रिहाई मंच के सिपाही राजीव यादव और उनके साथियों पर पुलिस ने पूरे प्लान के साथ जानबूझकर हमला किया और राजीव यादव को बुरी तरह से मारा गया।

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हां… इतना ज़रूर है कि राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी राजीव पर हमले का विरोध करते हुए सामने आए। मौलाना रशादी ने पार्टी के नेताओं के साथ हज़रतगंज थाने में जाकर खूब हंगामा किया। इसकी वजह से राजीव यादव हमला करने वाले दो पुलिस वालों पर एफआईआर दर्ज हो गई।

आखिर में बस इतना ही कि…

ख़ुदा ने आज तक उस क़ौम की हालत नहीं बदली I
न हो जिसको ख़्याल आप अपनी हालत के बदलने का II