कानपुर, यूपी
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में 300 से अधिक सवर्णों ने लाठी-डंडे के साथ दलितों के घरों पर धावा बोल दिया। आग लगाई और लूटपाट की और दलित महिलाओं के हाथ-पैर भी मार के तोड़ दिए। बुद्ध और अंबेडकर की कथा सुन रहे कानपुर के दलितों पर सवर्णों के इस हमले के बाद गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है। पुलिस ने धारा 151 के तहत मामूली मुकदमा दर्ज किया है।
12 फरवरी को गांव में बुद्ध और भीम की कथा के दौरान दो पक्षों में खूनी संघर्ष से गांव में तनाव फैल गया, देखते ही देखते दर्जनों लोग घायल हो गए और सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
कानपुर देहात स्थित गजनेर के मंगटा गांव में दलित समुदाय के यहां बुद्ध और बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की सम्मिलित कथा का आयोजन चल रहा था। सवर्ण लोगों ने आकर कथा होने का विरोध किया। जिसके बाद लोगों ने सवर्ण समुदाय को ऐसा न करने की बात कही तथा खुद के पास इसकी परमिशन होने की बात बताई। मामला एक दूसरे पक्ष की गाली गलौच के बाद मारपीट तक पहुंच गया। झगड़े की खबर मिलने के बाद गांव में पहुँची क्षेत्रीय पुलिस ने मामला शांत करवाकर दोनों पक्षों का समझौता करवा दिया।
दलित परिवार के अमित ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, 2 दिवसीय चले उनके बाबा साहेब और बुद्ध कथा के कार्यक्रम का उनके पास बाकायदा परमिशन भी थी। कथा चल रही थी गांव के ही कुछ ठाकुरों और पंडितों ने आकर कथा को रुकवाने के लिए कहा। उस समय कथा में तकरीबन 400 लोग बैठे हुए थे, तो कथा रुकवाने का सवाल ही नहीं था। हम लोगों ने उन्हें अपने पास परमिशन होने का हवाला दिया तो वो लोग गाली-गलौच करने लगे। जिसका हमने विरोध किया। इसके बाद उन सबने 12 फरवरी की रात आकर मारपीट की। सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौके पर आकर दोनों पक्षों का समझौता करवा दिया बात वहीं से खत्म हो गई थी।
अमित कहते हैं, 13 फरवरी की सुबह करीब साढ़े आठ से नौ बजे के लगभग हमारे लगे पोस्टरों स्टीकरों को फाड़ने के बाद, गांव के 400 सवर्णों ने हम पर धावा बोल दिया। जहां भी जो भी जैसा भी मिला उसको वहीं पर मारा-पीटा गया। सवर्णों ने घरों में घुसकर दरवाजे तोड़ दिए गए, चूल्हे फोड़ डाले, बर्तन-भांडे, अनाज-गल्ले सब बिखेर दिए गए। इतना ही नहीं उन्होंने हमारे जानवर बांधने की जगहों को आग लगा दी। गलियों में रास्तों पर लोगों को रोक-रोककर मारपीट गया।
गांव के एक अन्य दलित भुइँयादीन ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, हमारे परिवार में हुई एक शादी के बाद हमने प्रशानिक परमिशन के बाद सर्वसम्मति से भगवान बुद्ध और संविधान रचयिता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की कथा का आयोजन चल रहा था, जिसमें सवर्णों ने आकर इसे बंद करने की धमकी देते हुए गाली-गलौच शुरू कर दी। हम सभी ने उनसे हाथ जोड़कर निवेदन किया और कार्यक्रम की उनसे भी एक दिन और चलने देने की रजामंदी मांगी, जिसके बाद उन लोगों ने गाली देते हुए हमें गांव से निकल जाने और गोली मार देने की बात कही।
बकौल भुइँयादीन शाम को कार्यक्रम बन्द होने के बाद दलितों पर हमला किया गया। इस हमले में कई लोगों को चोटें आईं। पुलिस ने आकर मामला शांत कराया और दोनों पक्षों का समझौता कर दिया गया हमने मान भी लिया फिर भी दूसरे दिन सुबह ही गालियां बकनी शुरू कर दीं और हमारे स्टिकर पोस्टर फाड़े। हमारे विरोध पर 400-450 लोगों ने हमें घरों में घुसकर मारा।
गौरतलब है कि सवर्ण बाहुल इस गांव में लगभग 2000 के करीब परिवार रहते हैं, जिसमें सवर्णों के 600-700 परिवार हैं। वही दलितों के मात्र 150 घर हैं। दलित रामसिंह ने बताया कि उनके पास परमिशन होने के बावजूद भी सवर्णों ने अपने बाहुबल का प्रयोग करते हुए हमारा दमन करने का प्रयास किया। हमारे घरों में घुसकर पुरुषों महिलाओं बच्चों को बुरी तरह मारा—पीटा है। ये लोग हमें गांव से निकालना चाहते हैं पुलिस भी हमारी बात नहीं सुनती है। हम सबने भागकर छुपकर अपनी जान बचाई, वरना वो लोग हमें जान से ही मार देते।
इस घटना के बाद जब जनज्वार ने गांव में पहुंचकर उच्च जाति के युवाओं-वयस्कों से संपर्क साधने की कोशिश की तो सवर्ण बाहुल्य गांव में एक भी पुरुष या वयस्क दिखाई तक नहीं दिया। पूछने पर एक महिला रोते हुए कहती है, ‘सभी लोग ड्यूटी पर गए हुए हैं उसे खुद इस झगड़े में चोंटें आईं हैं। उस दिन भी सब लोग ड्यूटी पर गए हुए थे। दलितों ने उनके घर पर धावा बोल दिया आकर।’
फिलहाल पूरे गांव में पुलिस बल तैनात है। तंबू बने हैं अग्निशमन यंत्र भी हैं, इसके अलावा गांव में मौजूद भारी संख्या में पुलिस बल गांव की कहानी कह रहा है कि सबमें आक्रोश है। कभी भी कुछ भी हो सकता है। पूरे गांव में कर्फ्यू जैसा माहौल है। मौके पर बैठे सीओ, एसओ सहित कई थानों के दरोगा पुलिस सहित SDM सदर ने नाम पूछने पर अपना नाम ही SDM सदर बताया, फिर दबी-दबी जुबान में सिर्फ इतना ही बोले कि माहौल अब शांत है, मगर इस मामले पर कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया।