बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को आगरा में जनसभा कर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चुनावी शंखनाद किया। मालूम हो कि यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की यह पहली चुनावी जनसभा है। ऐसे में उनके आने पर जिले के दलितों में खासा उत्साह देखा गया।
यहां उन्होंने जनसभा के माध्यम से आगरा के दलितों को बीएसपी को वोट देने की अपील की। साथ ही विपक्षी पार्टियों पर भी जमकर निशाना साधा। बसपा सुप्रीमो ने योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, ”बीजेपी की भी नीतियां अधिकांश जातिवादी और पूंजीवादी और आरएसएस के संकीर्ण अजेंडे पर ही केंद्रित रही है। धर्म के नाम पर तनाव और नफरत का वातावरण रहा है। प्रदेश में हर सस्तर के अपराध बढ़े हैं, दलित और महिलाएं सुरक्षित नहीं रही हैं। मीडिया में इनके आंकड़े को दबा दिया जाता है। आगरा में तो पुलिस कस्टडी में दलित युवक को मार दिया गया। गरीब, मजदूरों और बेरोजगारों के साथ दलित, आदिवासी, मुस्लिम और अल्पसंख्यक के हित और कल्याण की जो योजनाएं चल रही थीं, उनका लाभ नहीं होने दिया। दलितों और पिछड़ों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिला है। क्योंकि ज्यादातर सरकारी काम निजी क्षेत्र से कराएं हैं। मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक वर्ग के साथ तो बीजेपी सरकार ने पक्षपात वाला रवैया अपनाया है। बीजेपी की सरकार में सवर्ण खासकर प्रबुद्ध वर्ग अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है। गलत आर्थिक नीतियों के कारण महंगाई बढ़ी है।
समाजवादी पार्टी पर निशाना
वहीं, समाजवादी पार्टी को निशाने पर लेते हुए मायावती ने कहा,”सपा की सरकार में गुंडों, माफिया और लूट खसूट करने वालों का राज रहा है। जिस वजह से दंगे होते रहे। मुजफ्फरनगर कांड इसका उदाहरण है, प्रदेश में विकास का काम भी एक विशेष क्षेत्र और विशेष समुदाय तक ही रह गया।
सपा की सरकार की चलते दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। सपा पावर में आई तो सपा सरकार ने सबसे पहले हमारी पार्टी की सरकार ने दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग के संत-महापुरुषों के नाम पर जिन जिलों का नाम रखा था, उनके नाम बदल दिए। जब संसद में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर बिल आया तो सपा ने इसे फाड़ दिया था ताकि दलितों को पदोन्नति में आरक्षण ना मिले।
रैली में कांग्रेस पर भी जमकर बरसी
कांग्रेस पर उन्होंने कहा, ‘अपनी गलत नीतियों के कारण कांग्रेस सिर्फ केंद्र की सत्ता से ही बेदखल नहीं हुई बल्कि यूपी से भी बहुत पहले बाहर हो गई है। वो लोग दलितों और पिछड़ों के खिलाफ हैं। जब वो सरकार में थे, तब उन्होंने डॉ भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिया, वो तब जब कि वो इसके लायक थे। ” उन्होंने कहा कि कांशीराम के देहांत पर उनके सम्मान में कांग्रेस ने एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया था।
अब तक चुनाव प्रचार से दूर थीं मायावती
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का आगाज नहीं किया था। चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले जहां बीजेपी और सपा ने कई बड़ी रैलियां कीं तो मायवाती इस दौरान शांत रहीं। मायावती की निष्क्रियता को लेकर उनके वोटर्स ही नहीं राजनीतिक जानकार भी हैरान थे। हाल ही में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस पर हैरानी जताते हुए तंज कसा था कि मायावती बीजेपी के दबाव में प्रचार नहीं कर रही हैं।