ध्रुव गुप्त की फेसबुक वाल से
हम गोरक्षक
देश में हिन्दुओं द्वारा संचालित मांस के दर्जनों लाइसेंसी कारखानों में हर दिन हज़ारों गाएं अगर कटती है तो कटे ! इससे देश को विदेशी मुद्रा भी तो प्राप्त होती है। भारत ऐसे ही विश्व का सबसे बड़ा गोमांस निर्यातक थोड़े न बन गया है !
गोवा आने वाले पर्यटकों के लिए भी हम गोमांस की कोई कमी नहीं होने देंगे। अतिथि देवो भवः हमारी परंपरा है ! उत्तर पूर्व और केरल के ईसाईयों के गोमांस भक्षण पर भी हमें ज्यादा एतराज़ नहीं। जो हिन्दू गाय का मांस खाते हैं या सार्वजनिक तौर पर खाने की घोषणा करते हैं, उन्हें भी हम बर्दाश्त कर लेंगे। जो हिन्दू बूढ़ी गायों को कसाईयों के हाथों बेचते हैं या जिन हिन्दुओं के होटलों में गोमांस परोसा जाता है, उन्हें भी हम कुछ नहीं कहेंगे !
भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक हम गोरक्षकों का विरोध सिर्फ और सिर्फ देश के मुसलमानों से है। खाने की बात तो छोड़िए, कोई मुसलमान गोमांस के साथ पकड़ा भी गया तो हम उसे जिन्दा नहीं छोड़ेंगे। अपने प्रधानमंत्री जी कहें तब भी नहीं। यह हमारी आस्था का सवाल जो ठहरा।
अब क्या करें कि हम गोरक्षकों की आस्था तभी और केवल तभी परवान चढ़ती है जब सामने वाला मुसलमान हो !
(ध्रुव गुप्त पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और वो सामाजिक चेतना पर लिखते रहे हैं)