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16 Oct 2024, Wed

जस्टिस मुरलीधर का तबादला आदेश जारी करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए थी- पूर्व सीजेआई बालकृष्णन

FORMER CJI SAID GOVT SHOULD HAVE TAKEN CARE WHILE ISSUING THE TRANSFER ORDER OF JUSTICE MURALIDHAR 1 020320

नई दिल्ली

पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) केजी बालकृष्णन ने कहा है कि सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला करने का ‘आधी रात’ को आदेश जारी करते हुए ‘थोड़ी सावधानी’ बरतनी चाहिए थी।

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 26 फरवरी को तबादले का आदेश जारी किया। उसी दिन जस्टिस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कथित घृणा भाषण देने के लिए तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में दिल्ली पुलिस की नाकामी को लेकर ‘नाराजगी’ जाहिर की थी।

सरकार ने कहा कि तबादले का किसी मामले से कुछ लेना-देना नहीं है क्योंकि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पहले ही सिफारिश कर दी थी और जस्टिस ने भी अपनी सहमति दी थी।

जस्टिस बालकृष्णन ने शुक्रवार को फोन पर कहा कि यह महज संयोग है कि अंतिम तबादले की अधिसूचना उस दिन जारी की गई जब उन्होंने घृणा भाषणों पर आदेश दिया था। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम कि कौन सी तारीख को कॉलेजियम के समक्ष तबादले का मुद्दा आया।’

पूर्व सीजेआई ने कहा कि जस्टिस मुरलीधर के तबादले का दिल्ली हिंसा मामले पर सुनवाई करते हुए उनकी टिप्पणियों से कुछ लेना-देना नहीं है।

जस्टिस बालकृष्णन ने कहा, ‘जब देश में हालात इतने खराब और मीडिया तथा अन्य लोग सक्रिय हैं तो सरकार को आधी रात को ऐसे तबादले के आदेश जारी करते हुए थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए थी क्योंकि इसका लोगों द्वारा कुछ और मतलब निकाले जाने की संभावना है। लोग इसे अलग तरीके से समझ सकते हैं।’

उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जस्टिस मुरलीधर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अगले दिन से ही पद संभालने को कहा गया होगा।

जस्टिस बालकृष्णन ने कहा कि आमतौर पर जब ऐसे तबादले का आदेश दिया जाता है तो पद संभालने का समय सात दिन से कम नहीं दिया जाता ताकि जिस जस्टिस का तबादला किया गया है वह नयी तैनाती के लिए अपने आप को तैयार कर सकें।

एनजीओ ‘द कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स’ (सीजेएआर) ने गुरुवार को जस्टिस मुरलीधर के तबादले की निंदा करते हुए दावा किया कि एक ‘ईमानदार और साहसी’ न्यायिक अधिकारी को सजा देने के लिए यह कदम उठाया गया।

सरकार की अधिसूचना में कहा गया कि राष्ट्रपति ने भारत के प्रधान जस्टिस से परामर्श करने के बाद यह फैसला लिया। इसमें यह नहीं बताया गया कि जस्टिस मुरलीधर को कब से नयी जिम्मेदारी संभालनी है।

केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जस्टिस मुरलीधर का तबादला सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें तय प्रक्रिया का पालन किया गया।

वहीं, कांग्रेस ने जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था कि कई भाजपा नेताओं को बचाने और हिंसा की साजिश का पर्दाफाश नहीं होने देने के मकसद से सरकार ने तबादला कराया है।

By #AARECH