गया, बिहार
हर मुसलमान का ईमान है कि रमज़ान-उल-मुबारक अल्लाह का महीना है। इसमें हर बालिग़ मोमिन को हुक्म है कि वो रोज़ा रखे। दुनिया की हर इबादत लोगों की नज़र में आ जाती है। लेकिन रोज़ा एक ऐसी फ़र्ज़ इबादत है जो सिर्फ़ रोज़ेदार जानता है या फिर उसका पाक परवरदिगार जानता है। इसलिए रोज़े की अहमियत बहुत ज़्यादा है।
रमज़ान-उल-मुबारक के महीने का इंतज़ार हर मोमिन बहुत ही बेसब्री से करता है। इसके लिए लोग तैयारियां बड़े शौक़ से करते हैं। हर मुसलमान चाहता कि वह रोज़ा रखे। इसी कड़ी में बिहार के गया शहर के न्यू करीमगंज मुहल्ले के शिबली कॉलोनी निवासी फ़ैसल रहमानी की दो बेटियों ने अपने ज़िदगी का पहला रोज़ा रखा।
पत्रकारिता में सक्रिय फैसल रहमानी की महज़ दस साल की तसमिया सहर और आठ साल की फ़िलज़ा सहर ने गर्मी की शिद्दत को बर्दाश्त करते हुए पहला रोज़ा मुकम्मल किया। शहर के क्रेन मेमोरियल स्कूल में पढ़ने वाली तसमिया सहर ने बताया कि रोज़ा रखने का उसे बहुत शौक़ है। पहला रोज़ा मुकम्मल करने पर उसे बेइंतहा ख़ुशी हो रही है। उसकी कोशिश रहेगी कि आगे भी रोज़ा रखे। उसने बताया कि दोनों बहनों ने अपने घर के बड़े लोगों के साथ शब-ए-क़द्र में रात भर जाग कर इबादत भी की और ढेर सारी दुआएं मांगी। तसमिया सहर ने बताया कि उसने अपनी दुआओं में अपने मुल्क की तरक़्क़ी और ख़ुशहाली के लिए भी दुआएं मांगी।
फ़िलज़ा सहर ने बताया कि वह कई दिनों से रोज़ा रखने की ज़िद कर रही थी। लेकिन बेतहाशा गर्मी की वजह कर उनलोगों को रोज़ा नहीं रखने दिया जा रहा था। लेकिन बहुत ज़िद करने पर वालिदैन ने जुमा-ए-तुल-विदा यानी अलविदा के दिन रोज़ा रखने की इजाज़त दे दी। वह बहुत खुश हैं और सबके लिए अल्लाह ता’आला से खूब दुआएं मांगी है।
उनके वालिदैन और ख़ास कर उनकी दादी दोनों के पहला रोज़ा कामयाबी के साथ मुकम्मल करने पर बेहद ख़ुश हैं। दादी का कहना है कि उनकी अल्लाह ता’अला से दुआ है कि आगे भी उनके पोते-पोतियां दीन के रास्ते पर चलें। पेशे से पत्रकार फ़ैसल रहमानी ने बताया कि उनके घर के दीनी माहौल में पल-बढ़ रहे बच्चों पर इस्लाम का ख़ासा असर है। उनकी दुआ है कि उनके बच्चों को अल्लाह ता’अला दीन के साथ दुनिया अता फ़रमाए।
इस मौक़े पर नूर-उस-सहर, रिज़वाना रहमानी, सैयद ताबिश पटेल, इंशा फ़हीम, नाज़िश रहमानी, राफ़या फ़रहत, ग़ज़ाला नाज़, शाहबाज़ हसन, अबु हुज़ैफ़ा अम्बर, फौज़िया तहसीन, शादाब दानिश, बख़्तावर जबीं, अबु यूसुफ़ जमाल क़मर, आयशा हसन, अशहाज़ हसन, महरोश सहर, अबु एमाद, ओरैबा सहर, मो. अब्दुल्लाह, ख़दीजा सहर, ज़ैनब सहर, नयकी सहर आदि ने बच्चों को मुबारकबाद व दुआएं दी हैं।