श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर
जम्मू कशम्र के पूर्व सीएम और हाल ही में उपचुनाव जीते सांसद फारूख अब्दुल्ला ने एक बार बड़ा बयान दिया है। फारूख अब्दुल्ला ने कहा है कि पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के नक्सली हमले के मुकाबले कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद आर्मी जवानों को ज्यादा हाईलाइट किया गया, ताकि कश्मीर के मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाई जा सके। फारूख अब्दुल्ला के बयान के बाद मोदी सरकार के मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि हमें कुछ भी ऐसा नहीं बयान नहीं देना चाहिए, जिससे सिक्युरिटी फोर्सेस का मनोबल कम हो।
एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि ‘छत्तीसगढ़ के नक्सली हमले में शहीद 25 सीआरपीएफ जवानों की मौत का इतना शोर नहीं हुआ, जितना कि कुपवाड़ा के आर्मी कैंप में शहीद तीन जवानों का हो रहा है। आजकल एक नई ट्रिक अपनाई जा रही है, इसे ध्यान रखना। मीडिया पर इल्ज़ाम लगाते हुए उन्होंने कहा कि ”वो (मीडिया या सरकार) मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए ढोल पीट रही है। टीवी देखने के बाद कौन यहां आएगा? क्या मौत के मामले सिर्फ कश्मीर में सामने आ रहे हैं? दुनियाभर में ऐसा होता है, लेकिन ये सिर्फ टूरिस्टों को कश्मीर से दूर रखने की कोशिश है।”
मालूम हो कि 24 अप्रैल को सुकमा जिले में चिंतागुफा के पास नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हुए थे। इसके तीन दिन बाद जुमेरात को तीन आतंकियों ने कुपवाड़ा के पंजगाम में आर्मी कैंप पर हमला किया। इसमें आर्मी कैप्टन आयुष यादव, सूबेदार भूपिंदर सिंह और लांस नायक बी. वेंकट रमन्ना शहीद हो गए थे। वहीं 5 जख्मी जवानों का श्रीनगर के आर्मी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।
कश्मीर में प्रदर्शन और पत्थरबाजी रोकने के लिए केंद्र के इंटरनेट और सोशल साइट्स पर बैन लगाने पर फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि ‘मैंने उन्हें फोन कर कहा कि इस तरह के फैसले मत लीजिए। धीरे-धीरे हालात में सुधार हो रहा है। जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते तब तक कोई बातचीत नहीं हो सकती। वो सोचते हैं कि हमें ताकत से दबा देंगे। जितना ज्यादा दबाओगे, उतनी ज्यादा आग भड़केगी।”
फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि अगर सीएम महबूबा मुफ्ती केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध नहीं कर पा रही हैं तो कुर्सी छोड़ दें। अगर आप सोचते हैं कि इंटरनेट बंद कर स्टूडेंट्स को घाटी में पत्थरबाजी करने से रोक सकते हैं तो आपकी बड़ी भूल है। इससे हालात और बिगड़ेंगे। ‘पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते कश्मीर के लिए फायदेमंद साबित होंगे। इससे हमें अमन का माहौल मिल सकेगा। बातचीत से ही कश्मीर मसले का हल निकल सकता है। बम और बुलेट हमारी कोई मदद नहीं पाएंगी।