लखनऊ/गाज़ीपुर, यूपी
समाजावदी पार्टी की तरफ से धोखा खाने के बाद कौमी एकता दल अब सपा पर पलटवार करने की तैयारी कर रही है। पिछले दो दिनों से पार्टी के नेता गहन चिंतन कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस स्थिति से निकलने के लिए कई तरह की तैयारी कर रही है। पहले कदम के तौर पर पार्टी ने कल एक बजे लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस करने का फैसला किया है। इस प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी के अध्यक्ष अफज़ाल अंसारी समेत कई नेता मौजूद रहेंगे। उम्मीद है कि कौमी एकता दल के नेता समाजवादी पार्टी पर ज़ोरदार हमला करेंगे।
कौमी एकता के नेताओं का कहना है कि विलय के लिए पहल खुद समाजवादी पार्टी ने की थी। इसके जवाब में कौमी एकता दल के देश में सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिए बिना शर्त समाजवादी पार्टी में विलय किया गया था। पार्टी ने कई मौकों पर भी सपा का बिना शर्त समर्थन किया चाहे वह विधान परिषद का चुनाव हो या फिर राज्य सभा का। पार्टी के नेताओं का मानना है कि समाजवादी पार्टी ने धोखा दिया है और जनता इसका जवाब देगी।
सपा ने की विलय की पहल
कौमी एकता दल की विलय के लिए पहल खुद सपा की तरफ से की गई थी। पूर्वांचल के तीन मंत्री लगातार कौमी एकता दल के संपर्क में थे। बातचीत तो करीब एक साल से चल रही थी। ये बातचीत बीच में की बार टूटी, लेकिन सपा के मंत्रियों ने लगातार संपर्क बनाए रखा। सूत्रों का कहना है कि बातचीत फाइनल होने के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को सारी बात बताई गई। इसके बाद कौमी एकता दल के नेताओं की मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह से मुलाकात हुई। इन्ही मुलाकातों में तय हुआ कि कौमी एकता दल का विलय तो होगा लेकिन पार्टी के विधायक मुख्तार अंसारी शामिल नहीं होंगे।
राज्य सभा और विधान परिषद चुनाव में समर्थन
कौमी एकता दल के विधान सभा में दो विधायक हैं। पार्टी ने यूपी में हर विधान परिषद या राज्य सभा के चुनाव में बिना शर्त समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन किया। अभी हाल ही चुनाव में कौमी एकता दल के नेताओं से कई दूसरे दलों ने समर्थन के लिए संपर्क किया लेकिन सपा की तरफ से संपर्क होने पर पार्टी ने बिना शर्त समर्थन दिया।
पूर्वांचल में सपा कमज़ोर
सपा के कई नेताओं का मानना है कि पार्टी का जनाधार पूर्वांचल में कमज़ोर है। ऐसे में अगर कौमी एकता दल का साथ मिल जाता तो पार्टी वहां काफी मज़बूत हो जाती। दरअसल कौमी एकता दल का गाज़ीपुर, मऊ, चंदौली, वाराणसी समेत कई जिलों में प्रभाव है। पार्टी अगर अकेले चुनाव लड़े तो ज़्यादा सीटें तो नहीं जीत सकती पर सपा का कम से कम 35 सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है। सपा नेताओं को इसी बात का डर है।
आगे का रास्ता
कौमी एकता दल फिलहाल इस स्थिति में नहीं है कि वह अभी किसी दल से कोई बातचीत करें। पार्टी के पास अब भी कई विकल्प हैं। यूपी में कांग्रेस, जेडीयू और पीस पार्टी के संभावित गठबंधन में भी शामिल होने की बात कही जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वांचल में सपा और बीएसपी को नुकसान हो सकता है। वैसे अभी कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी। कल की प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी का नज़रिया साफ होगा।