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17 Oct 2024, Thu

भारत की अर्थव्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि अब कुछ बातें स्पष्ट हो चुकी हैं  जीडीपी वृध्दि दर 15 साल में सबसे निचले स्तर पर है, घरेलू उपभोग पिछले चार दशक में सबसे नीचे पहुंच गया है और बेरोज़गारी 45 साल के सबसे उंचे स्तर पर है। बैंकों के कर्ज़ डूबने के मामले सबसे उंचे स्तर पर हैं और बिजली उत्पादन 15 साल के सबसे निचले स्तर पर गिर गया है। मनमोहन सिंह ने कहा कि यह ऊंचे और नीचे की यह सूची बहुत लंबी और परेशान करने वाली है।

मनमोहन सिंह ने कहा है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था की हालत उसके समाज की हालत भी बयान करती है। उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी है कि समाज और संस्थाओं के बीच संवाद होता रहे। उन्होंने कहा कि इस संवाद की नींव में आपसी विश्वास और आत्मविश्वास होता है। लेकिन विश्वास का यह ताना बाना पूरी तरह से तहस नहस कर दिया गया है।

मनमोहन सिंह ने लिखा है कि उनकी कई उद्योगपतियों से मुलाक़ात होती रहती है। इन मुलाक़ातों में उद्योगपती बताते हैं कि वो सरकारी अधिकारियों के हाथ परेशान किये जाने के भय में जी रहे हैं। बैंक नए कर्ज़ नहीं देना चाहते क्योंकि उन्हे कर्ज़ डूबने का ख़तरा लगता है।

लोग नए उद्योग लगाने से डर रहे हैं कि कुछ लोगों की ख़राब नियत के चलते वो डूब सकते हैं। मनमोहन सिंह ने कहा है कि लोग खुद असहाय महसूस कर रहे हैं। लोगों को लगता है कि उनको सुनने वाला कोई नहीं है। मनमोहन सिंह ने कहा है कि अविश्वास और डर के लिए मोदी सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेदार है।

उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ाने वाले लोगों को शक की नज़र से देखती है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का पॉलिसी फ्रेमवर्क कुछ इस तरह का है कि सभी उद्योगपति, बैंक अधिकारी, रेगुलेटर और नागरिक फ्रॉड हैं धोखेबाज़ हैं। मोदी सरकार सभी को शक की नज़र से देखती है और उसके इस रैवये से अविश्वास का माहौल बना है।

मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था उस हालत में पहुंच रही है, जहां से बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पटरी लाना मुमकिन नहीं होता है। उन्होंने कहा है कि रिटेल इंफलेशन के जो आंकडे सामने आए हैं उनसे इसी तरफ़ इशारा मिलता है। मनमोहन सिंह ने कहा है सरकार को तुरंत ऐसी नीतियां बनानी चाहिएं जिससे मांग बढ़े।

मनमोहन सिंह ने सरकार को आगाह किया है कि भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आप इससे मनमुताबिक खेल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि यह वो समय है जब भारत के पास अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बड़े अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था में फ़िलहाल मंदी चल रही है और भारत के पास मौक़ा था कि वो अपना कारोबार दुनिया भर में बढ़ाता।

By #AARECH