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14 Mar 2025, Fri

दिवालिया हो गई COX & KING कंपनी, सब्ज़ी बेचने को मजबूर हैं कर्मचारी

COX AND KING COMPANY EMPLOYEE SELL VEGETABLE 1 221020

नई दिल्ली

भी टूर और ट्रेवल में अपनी सबसे बड़ी हिस्सेदारी के लिए मशहूर कंपनी कॉक्स एंड किंग दिवालिया हो गई है। कोरोना महामारी के चलते टूर एंड ट्रेवल का काम बंद हो चुका है। कंपीन के सारे आफिस बंद है और कर्मचारी अपनी तनख्वाह के लिए दर-दर ठोकरे खा रहे हैं। कई कर्मचारियों ने भुखमरी से बचने के लिए सब्ज़ी के ठेले लगाने को मजबूर हैं।

ट्रिब्यूनल में पहुंचा मामला

कॉक्स एंड किंग्स के कर्मचारियों ने अपने भुगतान के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाया है। अब ट्रिब्यूनल ने दिवालिया कंपनी कॉक्स एंड किंग्स के ढाई हजार से अधिक पूर्व कर्मचारियों की शिकायतों की सुनवाई के लिए 24 जनवरी, 2021 की तारीख दी है। कंपनी ने इन सभी कर्मचारियों को जून, 2019 से अक्टूबर, 2020 तक के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। पूर्व कर्मचारियों का लंबित वेतन 3 लाख से लेकर 70 लाख रुपये तक है। वहीं दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय यानी ED मनी लॉन्डिंग एक्ट के तहत इस 20 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की जांच कर रहा है।

कर्मचारियों को गुमराह किया

कंपनी के एक पूर्व मीटिंग मेंबर कैलाश दाते ने बताया कि हमने अंतरिम भुगतान के लिए ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है। हम एक छोटी राशि की मांग कर रहे हैं जो बैंकों के बकाया से 3 प्रतिशत से कम है।वहीं, लेनदारों ने 7 हजार करोड़ रुपये की मांग की है जिनके अभी तक कंपनी ने कर्ज चुकाए नहीं हैं। ऐसे में पूर्व कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि एनसीएलटी उनकी याचिका पर न्यायपूर्ण सुनवाई करे। उन्होंने आगे बताया कि कंपनी के प्रमोटर बार-बार बकाया वेतन देने के अपने वादे पर अमल नहीं कर रहे हैं। कंपनी की हालत पिछले साल जून में ही खस्ता हो गई थी लेकिन हमे अंधेरे में रख अक्टूबर 2020 तक काम करवाया गया।

कई लेनदार कतार में शामिल

कॉक्स एंड किंग्स की जांच के लिए गठित कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) की अब तक तीन बैठकें हुई हैं और यह वसूली के बारे में NCLT के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगी। वहीं, यह केस बदलावों के कई दौर से गुजर सकता है, क्योंकि अधिक से अधिक लेनदार कतार में शामिल हैं। नाम उजागर न करने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया यह प्रक्रिया बहुत लंबी समय तक चलने वाली है, जिन कंपनियों के लेनदारों को बकाया का भुगतान किए बिना ही कर्मचारियों को अंधेरे में रखते रहे, ने भी बड़ी संख्या में एनसीएलटी का रुख किया है।