अज़ीम सिद्दीक़ी
जौनपुर, यूपी
स्वच्छता अभियान चला देने या फिर उसका कागजी घोड़ा दौड़ा देने और ढोल पीट देने मात्र से स्वच्छ भारत अभियान का सपना साकार नहीं होता है। अधिकारी अपनी वाह-वाही या फिर चन्द पैसे की लालच के चक्कर में रेत का किला तो खड़ा कर ही देंगे तथा उनके फाइलों के कागजों पर गांवों स्वच्छ और सुंदर दिख रहे है। लेकिन जमीनी स्तर पर आकर देखिये तो पांव के नीचे से जमीन भी खिसक जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान पर व्यापक पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाये गए। साफ-सफाई के स्वच्छता पखवाड़ा भी चलाया गया। ताकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा देखे गए सपने साकार हो सके। पर जौनपुर ज़िलें में जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी व भू-माफियाओं के आतंक से ग्रामीणों सहित राहगीरों का जीना दुश्वार हो गया है। एक तरफ बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की बात की जा रही है जिसके लिए तरह – तरह नियम कानून बनाये जा रहे है ताकि प्रदूषण पर अंकुश लग सके लेकिन यहां भू-माफियाओं के सामने सब कुछ टॉय-टॉय फिस्स होकर रह जा रहा है।
यह बात विकास खण्ड शाहगंज सोंधी के क्षेत्र शाहगंज नगर पालिका पर सटीक बैठ रही है जहाँ भू-माफियाओं की मिलीभगत से खेतासराय-शाहगंज के मुख्य बाजार सबरहद के एक इण्टर कालेज व गर्ल्स कॉलेज की सटी हुई भूमि पर नगर पालिका ने डम्पिंग ग्राउंड बना लिया है पिछले एक सप्ताह से स्कूल के बगल में नगर पालिका का कचरा एक भू माफिया के कहने पर उसकी निजी जमीन पर डम्प करके उसे पाटा जा रहा है और इकट्ठा हुए कूड़े में आग लगा दी गई जो दिन रात जलता है जिससे धडल्ले से वायु प्रदूषण हो रहा है और जिससे आसपास के लोग त्रस्त है।
खासतौर पर उसमें से उठने वाला धुंआ नाक में दम करके रख दिया और धुंआ आँख में मिर्ची की तरह लग है जिससे लोगो को जीना मुहाल हो गया है। इसमें बड़े मजे की बात यह है कि जल रहे कूड़े के बगल विद्यालय स्थित है। जिसको लेकर आसपास के लोगों की चिंतायें बढ़ रही है कि तेज़ हवा से न जाने कब चिंगारी शोले में बदल जाये जिससे लोगों को भय सताया हुआ है।
जानकारी के अनुसार इमरानगंज मार्किट स्थित लबे रोड इडेन पब्लिक स्कूल है तथा नूरजहाँ गर्ल्स कालेज है स्कूल के कुछ ही दूरी पर इण्डेन गैस एजेंसी भी है उक्त स्कूल के बगल में भू माफियाओं द्वारा नगर पालिका शाहगंज से साँठ-गाँठ करके निजी स्वार्थ के लिए कचरे से उक्त भूमि को लगभग एक हफ्ते से पाटा जा रहा है, हद तो तब हो गई जब इस आग उगल रही गर्मी में 44 डिग्री टेम्प्रेचर में उक्त भू माफियाओं ने कचरे में आग लगा दी। जिससे पास पड़ोस के लोगों घुटन भरी जीवन जीने को मजबूर है।
अब आप अन्दाजा लगा सकते है एक तरह आग उगल रहे सूर्य देव दूसरी तरफ आग व घुटन भरा धुंआ में जीना हो तो बीमार होने में कितना समय लगेगा। आसानी से समझा जा सकता है। इंसान तो किसी तरह गांव छोड़कर इधर-उधर जाकर थोड़ा सकून महसूस कर सकता है लेकिन जब यह रोज़ा का आलम है तो कितना दिन भागेगा। वही जानवरो की बात करे तो वो बेजुबान जनावर कहा जायेगे अपनी समस्या किससे और कैसे कहे?
भू-माफिया के दबाव, भय या फिर किसी लालच में स्वछता भारत अभियान का मज़ाक बनाकर इंसान बच्चे व जानवरों के जिन्दगी से खिलवाड़ कर रहे है। स्वास्थ्य और आम लोगों की जीवन – स्थितियों में सुधार लाना है। कचरा या अपशिष्ट सार्वजिनक स्वास्थ्य और साफ-सफाई के लिए एक गम्भीर खतरा है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाला कचरा मुख्य रूप से जैविक होता है किंतु निपटान के गलत तौर-तरीकों के कारण गम्भीर समस्याएं पैदा हो सकती है और तेज़ी से हो भी रही है। इससे बीमारियां भी पांव फैलाना शुरू कर सकती है। आग धीरे-धीरे हवा पाकर जलते-जलते इतना फैल जा रहा है कि शुद्ध-हवा पानी के लिए लगाएं गए वृक्ष भी कूड़े की आग की चपेट में आकर जल रहे है। फिर जिम्मेदार आखँ मूंदे बैठे है।