नई दिल्ली
उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा की आग ने 38 जिंदगियां लील ली। इस हिंसा के निशान वहां की सड़कों और गलियों पर अपनी खौफनाक कहानी सुना रहे हैं। इस हिंसा के बीच चांदबाग के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में एक हिंदू परिवार की बेटी अपने ही घर में बैठ कर बाहर हो रही हिंसा देख रो रही थी। आज (25 फरवरी) इस लड़की की शादी होनी थी। माहौल को देखते हुए घर में शादी कैंसिल करने की बात चल रही थी। 23 साल की सावित्री के बाहर हो रहे दंगों के शोर और खबरें सुन आंसू नहीं रुक रहे थे।
सावित्री के हाथों में मेहंदी रच चुकी थी। उसकी शादी का लाल जोड़ा भी तैयार था। ऐसे में सावित्रि के पिता भोले प्रसाद ने तय किया कि उनकी बेटी की शादी होकर रहेगी।
सावित्री के पिता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उन्होंने बेटी की शादी तय समय पर करने की ठानी तो उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने भी साथ दिया।
घर के अंदर ही सावित्री की शादी हो रही थी और बाहर आस-पड़ोस के मुस्लिम लड़के घर की पहरेदारी कर रहे थे।
सावित्री ने रॉयटर्स को रोते हुए बताया कि मेरे मुसलमान भाइयों की बदौलत ही मेरी शादी हो पा रही है। शादी भी ऐसी जगह शांति से हुई जहां से चंद कदम दूर का इलाका युद्ध क्षेत्र का रूप ले चुका था।
भोले प्रसाद ने बताया कि, ‘वो इस इलाके में सालों से बिना किसी खतरे के प्रेम से रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि पता नहीं ये कौन लोग हैं जो हिंसा कर रहे हैं। यहां के हिंदू औऱ मुसलमान परिवार तो मिलजुलकर साथ रहते आए हैं।’
सावित्री की शादी को लेकर पड़ोस की मुस्लिम महिलाओं का कहना था कि, ‘जिस वक्त लड़की को सबसे ज्यादा खुश रहना चाहिए वो घर में बैठकर रो रही थी। हम सबने मिलकर उसकी शादी करवा दी है इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है।’
शादी में मोहल्ले के मुसलमानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और नवविवाहित जोड़े को खूब आशीर्वाद भी दिया।