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17 Oct 2024, Thu

ओबैद नासिर की फेकबुक वाल से

लखनऊ, यूपी
नौकरियाँ मिलना तो दरकिनार नौकरिया मुसलसल जा रही हैं। सारे छोटे बड़े कारोबार ठप पड़े हैं। कंस्ट्रक्शन सेक्टर तो पूरी तरह बैठ ही गया है। दूसरी ओर सरकार में बैठे लोग अपनी आस्था के चलते गांव में गरीब किसानों के लिए ऐसी समस्या खड़ी कर रहे हैं जिसने उनकी जिंदगी अजीरन कर दी है। छुट्टा गाय और सांड तो उनकी खेती के दुश्मन बन ही गए हैं। किसान जिन जानवरों को बेच कर वह अपनी कोई भी इमरजेंसी ज़रूरत पूरी कर सकते थे वह उनके लिए उलटे बोझ बन गए हैं।

अब रही सही कसर सरकार के गाँव की हाट बाज़ारों में बकरे का मांस न बेचने के आदेश ने पूरी कर दी है। इससे न केवल बकर क़साबों के सामने रोज़ी रोटी की समस्या खड़ी हो गयी है बल्कि किसान जो की अधिकतर गैर मुस्लिम हैं, उनके सामने भी गाय बछड़ों के बाद अब बकरियां भी एक समस्या बन गयी है। क्योंकि उन के खरीदार नहीं आ रहे हैं, यह जानवर उन के लिए ATM का काम करते थे रात बारह बजे भी अगर उन्हें पैसे की अचानक ज़रूरत पड़ जायें तो गाँव के बकर कसाब को बुला के अपना बकरा-बकरी उसके हाथ बेच कर पैसा हासिल कर सकते थे। यूपी की सरकार यह दरवाज़ा भी सरकार बंद कर रही है नोट बंदी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर की दुर्दशा के कारण किसान अपनी जमीन भी नहीं बेच पा रहा है।

समझ में नहीं आता की यह सरकार चाहती क्या है, क्या बेरोजगारों की फ़ौज वह अपने किसी बहुत ही खतरनाक मंसूबे को पूरा करने के लिए तैयार कर रही है (बजरंग दल में बहुत बड़े पैमाने पर भर्तियों का एलान याद करें) इस पर संजीदगी और गहराई से गौर करने की ज़रूरत है। अगर इन बेरोजगारों का सरकारी या दलीय स्तर पर कोई गलत इस्तेमाल न भी किया जाय तो फ्रुस्ट्रेटेड बेरोजगार नौजवान अपने परिवार, समाज और देश के लिए अभिशाप बन सकते हैं। जब कमाई और रोज़गार का हर दरवाज़ा बंद हो जायगा तो लोग दूसरों का दरवाज़ा तोड़ने अर्थात लूट मार और अन्य गैर कानूनी कामों के लिए मजबूर हो ही जायेंगे।

(ओबैदुल्ला नासिर वरिष्ठ पत्रकार है और कई संस्थानों में काम कर चुके हैं। अभी लखनऊ में रह रहे हैं।)