डॉ अशफाक अहमद
लखनऊ, यूपी
राजस्थान के अलवर में सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाने वाले गौरक्षकों ने जिस तरह एक मुस्लिम की हत्या की है, वह जगजाहिर है। ये खबर न सिर्फ देश में बल्कि दुनिया के कई अखबारों और न्यूज़ चैनलों ने चलाया। गौरक्षकों की भीड़ ने पहलू खान की सरेआम हत्या की। उसकी सच्चाई भी सबके सामने आ चुकी है कि वह बाकायदा रसीद पर दुधारू जानवर खरीद कर ला रहा था। पर दैनिक भाष्कर अखबार की खबर पर नज़र डालिए तो वह पहलू खान को गौ-तस्कर बता रहा है। खबर देख कर लगता है कि दैनिक भाष्कर ने पत्रकारिता की सारी मर्यादाए को ताक पर रख दिया।
आतंकी भीड़ द्वारा मारे गए पहलू खान के पास जानवरों के खरीदने की नगर पालिका की रसीद थी। दरअसल पहलू खान दूध के लिए इन जानवरों को अपने घर ले जा रहा था। उसने आतंकी भीड़ को रसीद भी दिखाया। पर गौरक्षकों के इरादे बिल्कुल साफ थे और वो हत्या के इरादे से ही आए थे। अब दैनिक भाष्कर की खबर पर नज़र डाले तो ऐसा लगता है कि बहुसंख्यक समाज को खुश करने के लिए ही ये हेडलाइन दी गई है।
दैनिक भाष्कर राजस्थान का बड़ा अखबार है। अखबार ने अपने बिजनेस को प्राथमिकता दी या फिर खबर लिखने वाला सांप्रदायिक सोच का था। अखबार ने साफ लिखा है कि पिटाई से गोतस्कर की 12 पस्लियां टूटी… इसका मतलब साफ है कि वह अखबार ने पहलू खान को गोतस्कर मान लिया है। कुछ भी कहें… पत्रकारिता का धर्म निभाने का दावा करने वाले दैनिक भाष्कर को अब अखबार कहना भी शर्मिंदा करने वाला है।
दैनिक भाष्कर अखबार एक बार पहले भी फंस चुका है। मामला जोधपुर का है जब उसके एक रिपोर्टर ने ईद-मीलादुन्नबी के दौरान एक घर में फहरा रहे इस्लामी झंडे को पाकिस्तानी झंडा बता दिया और बड़ी खबर छाप दी थी। इस खबर में उसने खुफिया विभाग की नाकामी भी बता दिया था। बाद में जब सोशल मीडिया पर खबर चली तो सच्चाई सामने आई। पुलिस ने मामले में एफआईआर लिखी और रिपोर्टर की गिरफ्तारी भी हुई थी।
چآٹو کاریتا ہوگئے سب ہندی نیوز چینل