Breaking
16 Oct 2024, Wed

लखनऊ, यूपी

राजधानी लखनऊ के उजरियांव गोमतीनगर पर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ शुरु हुए प्रदर्शन के बुधवार को एक महीना पूरा हो रहा है। जनवरी महीने की 19 तारीख को चंद घरेलू महिलाओं ने इसे शुरु किया था। 40-50 की संख्या में घरेलू महिलाओं ने शाहीनबाग़ और दो दिन पहले घंटाघर में शुरू हुए धरने को देखते हुए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उजरियांव गाँव मे धरने पर बैठ गई थीं। तब शायद ही किसी को मालूम था कि आन्दोलन का आकार इतना बड़ा हो जायेगा। उजरियांव आन्दोलन के एक महीना पूरा होने पर कल दिन-भर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।

उजरियांव धरने पर 1 माह से बैठी महिलाओं के संघर्ष
उजरियांव का धरना 19 जनवरी शाम 6 बजे करीब 50 महिलाओं से शुरू ही हुआ था कि धरने स्थल पर पुलिस आ गई और धरने पर बैठी हुई महिलाओं को धमकाते हुए कहा कि आप लोग यहां धरना नहीं कर सकते है। यह कहते हुए धरने स्थल पर लगे टेंट, कम्बल, दरी, चेयर, पोस्टर को पुलिस थाने उठा ले गई।

19 जनवरी की ठिठुरती सर्द रात में भी उजरियांव की महिलाओं ने हार न मानी और वो धरने पर बैठी रही है। धरने के दूसरे दिन से महिलाओं की संख्या बढ़ने लगी और अब महिला संघर्ष के एक माह भी पूरे होने जा रहे हैं। उजरियांव धरने में 102 साल की दादी नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में धरने में शुरू से अब तक शामिल रही हैं।

इन नारों के सहारे डटी रही महिलाएं
किसी आंदोलन के विस्तार के लिए जरूरी है कि प्रदर्शन में शामिल लोगों का उत्साह बना रहे। नारे इस उत्साह को हमेशा बढ़ाते रहे हैं। पूरे दिन अब ये नारे उजरियांव धरने पर गूंजते रहते हैं।

1.  ये देश हमारा आपका, नहीं किसी के बाप का
2.  उजरियांव से उठी आवाज, नहीं चलेगा गुण्डाराज
3.  गांधी के वास्ते अम्बेडकर के रास्ते
4.  दादा लड़े थे गोरों से… हम लड़ेंगे चोरों से
5.  मरना ही मुक्कदर है तो फिर लड़ के मरेंगे, खामोशी से मर जाना मुनासिब नहीं होगा
6.  ये जंग जीतेंगे अबकी बार, ये एलान हमारा है
7.  उजरियांव ने ललकारा है कागज नहीं दिखाना है

कौन-कौन से मशहूर चेहरे पहुंचे उजरियांव
उजरियांव धरने को दिशा देने वालों ने इस बात का खास ध्यान रखा है कि कैसे उजरियांव के इस आंदोलन को देशभर में चर्चा में लाया जाये। इसके लिए कई मशहूर लोगों को यहां आंदोलनकारियों को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया। जिसमे प्रमुख रूप से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, पूर्व राज्यपाल अज़ीज़ कुरैसी, रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब आदि शामिल रहे।

मालूम हो कि पूर्व आईएएस हर्ष मंदर, मैग्सेसे अवार्डी विल्सन वेजवाड़ा, पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, मैग्सेसे अवार्डी संदीप पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह, ऑल इण्डिया प्रोग्रेसिव विमेन्स एसोसिएशन की अध्यक्ष कविता कृष्णन, अतुल कुमार अंजान मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर जॉन दयाल, सांगवारी बैण्ड और कई विश्वविद्यालयों के छात्रसंघ के लोग भी इसमें शामिल हुए।

अब बढ़ी भीड़ को कैसे संभालती हैं महिलायें
जिन महिलाओं ने इसे शुरु किया था, उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इसका रूप इतना बड़ा हो जायेगा। लिहाजा अब बढ़ी भीड़ को संभालने के लिए कई महिलायें मोर्चा ले रही हैं। मंच का संचालन करने वाली सहर फातिमा कहती हैं कि ‘जब तक काला कानून सीएए, एनपीआर, एनआरसी खत्म नहीं हो जाता तब तक हम धरने को जारी रखेंगे। 1 अप्रैल से शुरू हो रहे एनपीआर का हम पूर्णतया बहिष्कार करेंगे।’

रुबीना अयाज़ ने कहा कि ‘हम संविधान और देश बचाने के लिए धरना दे रहे हैं और जब तक संविधान विरोधी कानून को वापस नहीं ले लिया जाता तब तक हम धरना देते रहेंगे।’

नुज़हत ने कहा कि ‘हम लोग संविधान के दायरे में शांतिपूर्ण तरीके अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। उस पर भी पुलिस प्रशासन ने दो बार मुकदमें कर दिए। लेकिन हम लोग पीछे नहीं हटेंगे और अप्रैल में शुरू हो रहे एनपीआर का हम विरोध करेंगे। जरूरत पड़ी तो जेल भरो आंदोलन से लेकर असहयोग आंदोलन तक भी करेंगे।’

कल के दिन कौन-कौन से होंगे कार्यक्रम
आंदोलन के एक माह पूरे होने पर अब नया नारा “महिलाओं के संघर्ष के एक माह, आओ संघर्ष के साथ चलें” दिया गया है। तीस दिन पूरे होने पर उजरियांव पर कई लोगों के संबोधन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जायेगा। जिसमें संगीत, कला, मुशायरा और चर्चित वक्तागण अपनी बात रखेंगे। जिसमें जेएनयू पूर्व छात्र अध्यक्ष एन एस बालाजी, वरिष्ठ पत्रकार किरण सिंह, रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब, पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, बाँसुरी वादक अशुकान्त सिन्हा, सृजन आदियोग, अजय सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता इरम, नाहीद अकील, अज़रा, सना, सादिया, राम कृष्ण, ओपी सिन्हा, मानवाधिकार कार्यकर्ता रविश आलम, किन्नर समाज से कोमल (गुड्डन) आदि वक्ता आएंगे।

धरने पर बैठी महिलाओं पर दर्ज़ हुए मुकदमे
अभी तक इससे जुड़े मामलों में दो अलग-अलग मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। पहली एफआईआर में 5 नामजद और सैकड़ों अज्ञात और दूसरे मुकदमें में पूर्व राज्यपाल समेत कइयों पर नामजद मुकदमे दर्ज हुए।

By #AARECH