चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की रेस में सबसे आगे चल रहे आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत के संशोधित नागरिकात कानून (सीएए) पर दिए बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने उन्हें आड़े हाथों लिया है। एक तरफ ओवैसी ने उन्हें सीमा में रहने की नसीहत दी तो दूसरी तरफ दिग्विजय ने उनके बयान पर सहमति तो जताई लेकिन साथ-साथ उन्हें नसीहत भी दे डाली।
ओवैसी ने ट्वीट किया ‘लीडरशिप का मतलह यह कतई नहीं होता कि आप अपने ऑफिस और विभाग की मर्यादाओं को लांध दें। ये नागरिक वर्चस्व के विचार को समझने और उस संस्था की अखंडता को संरक्षित करने के बारे में है, जिसका आप नेतृत्व करते हैं। वहीं कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने लिखा, ‘जनरल साहब मैं आपकी बात से सहमत हूं, आपने का है कि नेता वो नहीं होता जो आगजनी का नेतृत्व करता है। लेकिन वो लोग भी नेता नहीं होते जो अपने अनुयायी को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में लिप्त होने देते हैं। क्या आप मुझसे सहमत हैं।’
बता दें कि सेना प्रमुख सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है। सेना प्रमुख ने यहां एक स्वास्थ्य सम्मेलन में आयोजित सभा में कहा कि नेता जनता के बीच से उभरते हैं, नेता ऐसे नहीं होते जो भीड़ को ‘अनुचित दिशा’ में ले जाएं।’’ उन्होंने कहा कि नेता वह होते हैं, जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं।
गौरतलब है कि रावत का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब वह रिटायरमेंट की कगार पर खड़े हैं। वह 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं। रिटायरमेंट से इस बात की चर्चा है कि उन्हें देशा का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया जा सकता है। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और दक्षिणी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सतिंदर कुमार सैनी भी इस रेस में शामिल हैं।