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21 Nov 2024, Thu

डॉ अशफाक़ अहमद

नई दिल्ली

किसी का विरोध करना, वैचारिक विरोध करना या फिर राजनीतिक रूप से अगर सामने वाला विरोधी पार्टी का है तो उसका विरोध करना कोई गलत बात नहीं है। ऐसे तमाम लोग हैं, जो मंच से एक दूसरे का विरोध करते हैं लोकिन एक दूसरे के प्रति सम्मान रखते हैं। कई लोग तो इससे इतर विरोधी होने के बाद भी एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होते हैं। पर जब ये मामला किसी मुस्लिम नेता का है तो इसके बिल्कुल उलट मामला दिखने लगता है।

हां… हम बात कर रहे हैं कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चैयरमैन नदीम जावेद की। नदीम जावेद के ऊपर पिछले दिनों कुछ अपराधियों ने दिल्ली में हमला किया। वैसे तो इस हमले में नदीम जावेद बच गए लेकिन सोशल मीडिया पर उनके विरोधियों ने उन्ही पर निशाना साधने की कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। दरअसल ये पूरा मामला किसी व्यापारी से जुड़ा है, जिसका आरोप है कि नदीम जावेद ने विधायक रहते उनसे पैसे हासिल किए। ये तथाकथित व्यापारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को खत लिखता है लेकिन किसी थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराता। ये व्यापारी पैसे हासिल करने के लिए हत्या में शामिल मुजरिमों की मदद लेता है लेकिन नदीम जावेद के खिलाफ एक भी सबूत सामने नहीं रखता है। इसके बाद नदीम जावेद के विरोधी इससे भी आगे निकल कर हत्यारों के हमले का समर्थन करते हैं। आखिर ऐसा क्यों ?

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कौन हैं नदीम जावेद
“सिराज़-ए-हिन्द” जौनपुर के पराकमाल गांव से निकल कर छात्र जीवन से राजनीति शुरू करने वाले नदीम जावेद कांग्रेस की छात्र संगठन से राजनीति में कदम बढ़ाया। इसके बाद वो प्रदेश संगठन और फिर राष्ट्रीय कमेटी में शामिल हुए। उस समय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने नदीम जावेद की ईमानदारी और पार्टी के प्रति जुनून को देखते हुए कांग्रेस की छात्र इकाई “एनएसयूआई” का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। नदीम जावेद के नेतृत्व में एनएसयूआई ने दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित कई प्रदेशों के कालेजों और विश्विद्यालय छात्रसंघ के चुनाव में लगातार ऐतिहासिक जीत हासिल की। उन्होंने बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी की कमर तोड़ दी थी। छात्र संगठन का कार्यकाल पूरा करने के बाद युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव बनाये गए। इसी समय राहुल गांधी की संगठन के माध्यम से सक्रिय राजनीति की शुरुआत हुई तो उन्होंने नदीम जावेद को पार्टी का प्रवक्ता जैसी अहम ज़िम्मेदारी सौंपी। नदीम जावेद ने अपने सधे हुए शब्दों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बहुत कम समय मे अपनी जगह बना ली।

साल 2012 में कांग्रेस ने उन्हें असम्भव सी सीट जौनपुर से एमएलए का उम्मीदवार बनाया। जौनपुर की जनता ने युवा लीडर को हाथों हाथ लिया और जिताकर दिल्ली को संदेश दिया कि जनता भी उनके साथ है। वर्ष 2017 में ध्रुवीकरण की राजनीति में पहले से अधिक वोट पाकर भी दुर्भाग्य से वह चुनाव हार गए पर पार्टी ने उन पर भरोसा किया उन्हें अल्पसंख्यक का विभाग का राष्ट्रीय चेयरमैन बनाया। कम समय में बड़ी सफलता मिलने के बाद उनके कुछ विरोधी निजी हमलों पर उतर आए।

विधायक बनने के बाद राजनीति की दिशा बदल दी
नदीम जावेद के साथ काम करने वाले देश के तमाम युवा नेता बेहतर तरीके से जानते हैं कि उनका व्यवहार उनकी सोच कितनी अलग है। वह पहले ऐसे नेता है जो जिले की राजनीति से दिल्ली तक पहुंचे और विधायक बने, पर उन पर एक भी अपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है। विधायक का 5 वर्ष का कार्यकाल में जौनपुर में उन्होंने राजनीति की नई दिशा तय की। जनता ने पहली बार एक अलग राजनीति को देखा। छोटे-छोटे मामलों में थाने-पुलिस, कोर्ट कचहरी में पहुंचने वाले नेताओं से बिल्कुल अलग साफ सुथरी राजनीति करने का नाम नदीम जावेद हैं। जब चुनावी समर में उतरे तो पहली बार नौजवान किसी नेता से ऑटोग्राफ ले रहा था। आम लोग नदीम जावेद की तारीफ किए बिना नहीं रह सकता है। विधायक का 5 साल का कार्यकाल जिस अंदाज में पूरा किया उसकी विरोधियों ने भी तारीफ की। क्षेत्र के किसी भी गांव की रंजिश वाली पार्टी में शामिल नही हुए।

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राजनीतिक विरासत की परंपरा
नदीम जावेद ने अपने घर के लोगों को ठेकेदारी रंगदारी या राजनीति में हस्तक्षेप करने नहीं दिया। उनका साफ संदेश था कि विधायक जनता का हूं जनता ही फैसला करेगी। नदीम जावेद के पिता प्रोफेसर जावेद खान महाराष्ट्र जैसे प्रदेश में 15 साल कैबिनेट मंत्री रहे और उनके किये गए काम आज भी लोग याद करते हैं। पूर्व मंत्री जावेद खान पर भी 15 साल में उनके ऊपर भी कोई एक छोटा सा दाग भी नहीं लगा।

किसने रचा षड्यंत्र
कहते हैं कि राजनीति में षड़यंत्र का बड़ा अहम रोल होता है। बड़े से बड़े राजनेता अगर अपने षड्यंत्रकारियों को समझ नहीं पाया राजनीति पल भर में समाप्त हो जाती है। नदीम जावेद के खिलाफ भी एक गंभीर षड़यंत्र दिख रही है। ऐसा लगता है कि उनकी पार्टी में भी कुछ लोग जो उन्हें नहीं पचा पा रहे हैं और विरोधियों से मिलकर षड्यंत्र करने का काम कर रहे हैं। कुछ दिन पहले हुई दिल्ली में घटना उसी षड्यंत्र का हिस्सा है। लेनदेन का एक आरोप लगा कर साफ सुथरी छवि के नेता को अपमानित करने का प्रयास किया जाता है।

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वसूली पत्रकारिता’ ने दिखाया खेल
देश के कुछ चैनल जिनको दलाल की संज्ञा दी जाती है, वह भी षड़यंत्र को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे है। वहीं एक दो ऐसे पत्रकार जो वसूली के लिए मशहूर रहे हैं, वो लगातार दबाव बना रहे हैं। ऐसे की एक पत्रकारों का गैंग दिल्ली में जो मुस्लिम सियासत के खिलाफ लगातर घटिया और चरित्र हनन का काम कर रहा है। वो हर मुस्लिम सियासत जो अपनी मेहनत और लगन से आगे बड़ती है ये गैंग उसके खिलाफ खड़ा हो जाता है। ऐसे लोगों की सोशल मीडिया प्रोफाइल देखें तो साफ ज़ाहिर होता है कि ये आरएसएस के एजेंडे पर काम कर रहे हैं।

हमला करने वाला हत्यारा
अब उस आरोपी और उसके परिवार की कहानी जानिए जिसने राजनैतिक विरोधियों के इशारे पर नदीम जावेद पर इल्ज़ाम लगाया है। पश्चिमी यूपी के खुर्जा शहर के इस परिवार का इतिहास खतरनाक अपराधों से भरा है। लूट, हत्या, डकैती और ब्लैकमेलिंग तक के दर्जनों अपराध इसके खिलाफ कई पुलिस थानों में दर्ज हैं। खुर्जा के हाजी यामीन के दो भाई इमरान और रईस कुख्यात अपराधी हैं। एक अंतराष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज की हत्या का इल्ज़ाम इन पर है। ये पुलिस कह रही है। पुलिस के रिकार्ड को देखें तो इनका नाम भाड़े के हत्यारे के रूप में दर्ज है। हाजी यामीन गैंग पश्चिमी यूपी में ब्लैक मेलिंग के लिए भी कुख्यात रहा है। एक बड़े व्यवसायी से 4 करोड़ रुपये की ब्लैक मेलिंग में भी यह अपराधी परिवार का नाम सामने आया है।

विरोध करने के लिए अपराधी के साथ खड़े हो गए
ऐसे अपराधी जिनके खिलाफ कई थानों में मामले दर्ज हों। जिन्हें पुलिस हत्यारा बता रही हो। जो पुलिस के अनुसार गुंडा टैक्स बसूली कर रहा हो, उसके बात पर यकीन करके नदीम जावेद के खिलाफ आरोप लगाना… क्या यहीं विरोध करने का तरीका है। ये तो समझ से परे है और साथ ही ऐसे लोग किस मुंह से जमता के पास जाएंगे।

नदीम के समर्थन में उठे युवाओं के हाथ
इस षड़यंत्र को देश का नौजवान खासतौर से अल्पसंख्यक समाज अच्छे तरीके से समझ रहा है। नदीम जावेद पर जैसे ही दिल्ली में हमले की खबर आती है पूरे देश में उनके पक्ष में जगह-जगह लोग प्रदर्शन करते हैं। देश के युवा कांग्रेस से जोड़े लोग नदीम जावेद के व्यवहार से अच्छी तरह परिचित है वह जानते है कि हमारा नेता कभी कोई गलत काम कर ही नहीं सकता है। उसके ऊपर जो आरोप लगा है वह निराधार है। सोशल मीडिया पर कुछ पोर्टल न्यूज़ है जो सिर्फ किसी एक दल को खुश करने के लिए एक पूरी मुस्लिम लीडरशिप और मुस्लिम बुद्धिजीवियों को निशाना बनाकर अपना उल्लू सीधा करने का काम कर रहे हैं देश के तमाम अल्पसंख्यक समाज के नेताओं को और युवाओं को ऐसे लोग को पहचानना होगा।