हैदराबाद, तेलंगाना
देश में 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के रिजल्ट कांग्रेस और भाजपा दोनो के लिए भी बहुत अहमियत रखते हैं। राजनीतिक पंडितों के विश्लेषकों के अनुसार देखा जाए तो बीजेपी के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश में खतरे की घंटी बज रही है। छत्तीसगढ़ में दोनों दलों के बीच कांटे की लड़ाई की खबर है, वहीं मिजोरम में मतदान हो चुका है और रिजल्ट की इंतज़र है।
इस सब के बीच पांचवे राज्य तेलंगाना ते चुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम हो गए हैं। यहां कांग्रेस ने सत्तासीन टीआरएस के खिलाफ महागठबंधन बनाया है जिनमें टीडीपी, माकपा और एक स्थानीय दल शामिल है। दरअसल तेलंगाना में ही ओवैसी की पार्टी एमआईएम का गढ़ है और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी पिछले 6 सालों से लगातार कांग्रेस पर हमलावर रहे हैं।
कांग्रेस की रणनीति
ऐसे में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती थी कि वह वो टीआरएस और एमआईएम से मुकाबले के लिए कुछ अलग रणनीति बनाए। तेलंगाना में कई ऐसी सीट है जहां मुसलमानों का समर्थन चुनाव का फैसला करता है। ऐसे कांग्रेस के रणनीतिकारों ने तेलंगाना के लिए कुछ अलग ही रणनीति बनाई है। कांग्रेस ने इससे निपटने के लिए बड़ी चतुराई से फैसला लिया जो तेलंगाना में कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकते हैं। पहली बार कांग्रेस ने अपने अल्पसंख्यक विभाग को चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी देते हुए मैदान में अपनी पूरी ताकत से उतारा।
नदीम जावेद को मोर्चे पर उतारा
चुनाव तारीख आने के बाद कांग्रेस अल्पसंख्यक के विभाग के चेयरमैन नदीम जावेद के प्रस्ताव पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तेलंगाना के अल्पसंख्यक विभाग का अध्यक्ष सुहेल शेख को मनोनीत किया। सुहैल शेख की हैदराबाद में अच्छी पकड़ है। इसके बाद राहुल गांधी ने नदीम जावेद को तेलंगाना में जाकर जमीनी लेवल पर चुनाव प्रतार करने का आदेश दिया। नदीम जावेद ने अल्पसंख्यक वोट पर ध्यान में रखते हुए भी चुनावी बिसात बिछाई है। उन्होंने एक के बाद एक लगातार बड़े कार्यक्रम किये। नदीम जावेद की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तेलंगना अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन बनाने के बाद वह खुद उनके प्रथम स्वागत कार्यक्रम में मौजूद रहे। अबुल कलाम आजाद की जयंती पर एक बड़ा कार्यक्रम का आयोजन हैदराबाद में किया गया। जयन्ती कार्यक्रम नदीम जावेद ने बीजेपी के मुखर विरोधी जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अपने साथ ले जाकर कांग्रेस के मंच पर खड़ा कर दिया। नदीम जावेद की यह एक बड़ी कामयाबी थी।
बड़े नेताओं की रैली में अल्पसंख्यक विभाग की ज़िम्मेदारी बढ़ी
अल्पसंख्यक विभाग ने एक तरफ छोटी-छोटी रैलियां करके पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया तो दूसरी तरफ पार्टी और गठबंधन के नेताओं की बड़ी रैलियों के लिए मेहनत की। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संयुक्त आंध्र के मुख्यमंत्री और वर्तमान में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू के साथ गठबंधन कर चार मीनार पर एक बड़ी सभा करके टीआरएस के खेमे में हलचल मचा दी। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गांधी ने भी बड़ी सभाएं की। नदीम जावेद की लगातार तेलंगाना में मौजूदगी इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि हाईकमान तेलंगाना में मुस्लिमों मतों को लेकर बहुत गंभीर हैं।
शायर इमरान प्रतापगढ़ी के साथ चुनावी सभा
नदीम जावेद मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी को साथ लेकर एक के बाद एक लगातार सभाए करते जा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद तेलांगना में कई बड़ी सभाएं कर चुके है। नदीम जावेद ने महाराष्ट्र और बगल के प्रदेश कर्नाटक से युवा और अनुभवी नेताओं एक बड़ी टीम बुलाकर मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में जिम्मेदारी बांटकर कर टीआरएस के तिलिस्म तोड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं।
कांग्रेस अध्य़क्ष ने अज़हरुद्दीन को दी बड़ी ज़िम्मेदारी
चुनाव के अंतिम समय में कांग्रेस ने एक और बड़ा फैसला किया। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और पूर्व सांसद अज़हरुद्दीन को तेलंगाना कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सबको चौंका दिया। हैदराबादी मुस्लिम नौजवानों में अज़हरुद्दीन का जुनून सर चढ़कर बोलता है। अज़हर के सक्रिय रूप से जुड़ने से कांग्रेस अच्छा फायदा मिल सकता है।
आदिलाबाद पर नज़र
पिछले विधानसभा चुनाव में केसीआर ने आदिलाबाद की पूरी 10 सीटों पर कब्ज़ा कर लिए था। इस बार कांग्रेस ने आदिलाबाद को निशाने पर रखते हुए एक बड़ी टीम आदिलाबाद में उतारी है। आदिलाबाद में नदीम जावेद के दिशा निर्देश पर अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष साजिद खान ने एक बड़ी सभा का आयोजन किया जिसमें मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहान शामिल हुए। अदिलाबाद की सभा ने काफी भीड़ जुटी।
कई जगह सक्रिय है नदीम जावेद
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय चेयरमैन नदीम जावेद नामपल्ली, करीम नगर, निज़ामाबाद, आदिलाबाद, मोडक सहित कई मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा में दर्जनों सभाएं कर कर चुके हैं। रोड शो और नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से भी केसीआर के मुस्लिम समीकरण को भेदने में लगातार लगे हुए हैं। कांग्रेस की रणनीति अगर सफल हुई तो तेलंगाना में कांग्रेस के लिए अच्छी खबर आ सकती है। तेलंगाना के दिल कहे जाने वाले हैदराबाद जिसमें 15 विधानसभा आती है। इसमें पिछले चुनाव में 7 सीटों पर एमआईएम का कब्जा था। बची 8 सीटों में पिछली बार चार बीजेपी ने और चार पर टीआरएस ने कब्जा जमाया था। कांग्रेस ने रणनीति के तहत हैदराबाद में गुलाम नबी आज़ाद, नदीम जावेद समेत दर्जनों मुस्लिम नोताओं को प्रचार में उतारा है। पार्टी ने आखिरी समय में अज़हरुद्दीन को तुरूप के पत्ते की तरह उतारा।
कब है चुनाव
मालूम हो कि तेलांगना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने 6 महीना पहले ही विधान सभा भंग करके चुनाव कराने का एलान कर दिया था। यहां 7 दिसंबर को चुनाव होना है और 11 दिसंबर को रिजल्ट आएगा। अब ये देखना है कि वक्त से पहले उनका चुनाव कराना उनके लिए फायदे का सौदा होता है ये फिर कांग्रेस की रणनीति कामयाब होती है।