लखनऊ, उत्तर प्रदेश
तिब्बे यूनानी के इलाज में सर्जरी का अहम रोल रहा है। पांच हज़ार साल यूनानी पद्धति के आने के बाद कई ऐसे हकीम हुए हैं जिन्होंने अपनी हिकमत और सर्जरी से जटिल से जटिल रोगों का उपचार किया है। मौजूदा दौर में इसकी ज़रूरत और बढ़ गई है। ऐसे में सर्जरी विषय में होने वाली सीएमई से इस पद्धति से जुड़े चिकित्सकों को काफी लाभ होगा और उन्हें आधुनिक जानकारियां हासिल होंगी। ये बातें राजधानी लखनऊ के राजकीय तकमिल उत्तिब कॉलेज में सर्जरी विषय पर आयोजित सीएमई में विशेषज्ञों ने कहीं।
दरअसल केंद्र सरकार के आयूष विभाग की तरफ से राजकीय तकमिल उत्तिब कॉलेज में 6 दिन की सीएमई का आयोजन किया गया है। सीएमई में करीब आठ प्रदेश से 12 विशेषज्ञ लखनऊ आयें हैं। इनमें प्रोफेसर, रिसर्चर, पीएचडी स्कॉलर शामिल हैं। ये लोग 6 दिन तक चलने वाले सीएमई कार्यक्रम में दर्जनों डेलीगेट को जानकारी उपलब्ध कराएंगे। इस कार्यक्रम में प्रदेश के आयूष विभाग के विशेष सचिव सोबरन सिंह बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे।
इस मौके पर सोबरन सिंह ने कहा कि सीएमई का मकसद नई तकनीकी और नये अविष्कार से अपने आप को अपडेट करना है। अमेरिका, चीन जैसे देशों में स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरुकता है। वहां लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हैं और अपने आपको फिट रखते हैं। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में सरकार सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। कई योजनाएं राज्य सरकार और केंद्र सरकार चला रही हैं। ऐसे में अगर चिकित्सक पूरी लगन और दिल से काम करें तो हम अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकते हैं।
कार्यक्रम में दिल्ली से आए आयूष विभाग में यूनानी के एडवाइज़र डॉ मोहम्मद ताहिर से यूनानी इलाज़ की तदबीर पेश की। उन्होंने कहा कि पूरे देश में 55 यूनानी कॉलेज हैं और इनसे 2705 स्नातक हर साल पढ़ाई पूरी करते हैं। वहीं 14 कॉलेज ऐसे हैं जहां पीजी होती है और इनसे 127 स्कॉलर हर साल निकलते हैं। यूनानी पद्धति में पीएचडी कश्मीर और हैदराबाद के कॉलेजों में हो रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की प्रथमिकता में आयूष विभाग है और इसलिए 2014 में इसका मंत्रालय अलग कर दिया गया है।
दिल्ली से आए सीसीआईएम के उपाध्यक्ष डॉ ज़ुबैर अहमद शेख ने कहा कि सीसीआईएम हर विषय में सीएमई आयोजित कराने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि सीएमई से हम अपनी विधा को एडवांस कर सकते हैं और इसका सीधा फायदा मरीजों को होगा। डॉ ज़ुबैर ने कहा कि कोई भी पैथी माडर्न तरीके को छोड़कर तरक्की नहीं कर सकती है। यूनानी निदेशालय में निदेशक डॉ सिकंदर हयात सिद्दीकी ने इस मौके पर प्रदेश में यूनानी पद्धति में हो रहे बदलाव और तरक्की की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार आयूष और खासतौर पर यूनानी के लिए विशेष कदम उठा रही है।
इस मौके पर आयुर्वेद यूनानी तिब्बी चिकित्सा बोर्ड के राजिस्टार डॉ अखिलेश वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का अध्यक्षता यूनानी सेवा के पूर्व निदेशक डॉ शुएब कासमी ने किया। राजकीय तकमिल उत्तिब कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अब्दुल वहीद से सभी मेहमानों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ खालिद ने बहुत ही शानदार तरीके से किया। सीएमई कार्यक्रम आयोजन कमेटी के चेयरमैन डॉ अब्दुल कवी ने इस आयोजन में आए सभी विशेषज्ञों का परिचय दिया। उन्होंने सीएमई के दौरान होने वाले कार्यक्रम की पूरी जानकारी दी।
इस मौके पर यूनानी पैथी के विकास में विशेष योगदान देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद खालिद, डॉ अफताब हाशमी और पत्रकार डॉ अशफाक अहमद को मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नुडवा के अध्यक्ष डॉ मोईद अहमद, बीयूएमएस डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ नियाज़ अहमद, हयात यूनानी मडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ आरिफ, इरम यूनानी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अब्दुल हलीम, डॉ एहसानुल्लाह, डॉ मज़हरिस इस्लाम, डॉ सुबोध, डॉ बरकतुल्लाह, डॉ रक्षन्दा बेग समेत कई कॉलेजों के टीचर, छात्र और कॉलेज के स्टाफ मौजूद रहे।