नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर विवाद का मामला सामने आया है। सीनियर जज जस्टिस जे चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश को खत लिखकर न्यायपालिका में कार्यपालिका के हस्तक्षेप मामले पर विचार के लिए पूर्ण पीठ बुलाने की अपील की है। पिछले हफ्ते लिखी गई इस चिट्ठी में उन्होंने आगाह किया है कि किसी भी राज्य में न्यायपालिका और सरकार के बीच नज़दीकी लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा होगा।
सीनियर जज की इस अप्रत्याशित खत की प्रतियां शीर्ष अदालत के 22 अन्य जजों को भी भेजी गई हैं। इसमें कर्नाटक में ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णा भट्ट के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी द्वारा फिर से जांच शुरू करने पर भी सवाल उठाया गया है। 21 मार्च को लिखे गए इस खत में जस्टिस चेलमेश्वर ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय कानून मंत्रालय के कहने पर सीजेआई ने दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। यह जानते हुए कि सुप्रीम कोर्ट कोलिजियम दो बार जज जस्टिस कृष्णा भट्ट को हाईकोर्ट का जज नियुक्त की सिफारिश कर चुका है, दोबारा जांच कराने का कोई मतलब नहीं है।
छह पन्नों के खत में जस्टिस चेलमेश्वर ने लिखा है कि, ‘बंगलूरू से किसी ने हमारी उपेक्षा करने का काम किया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हमारा समर्थन करने के बजाय कार्यपालिका के लिए काम करने को आतुर हैं। सरकार तक कोलिजियम की सिफारिश पहुंचने से पहले ही जस्टिस भट्ट के खिलाफ आरोपों का पुलिंदा लेकर एक महिला न्यायिक अधिकारी सामने आ जाती हैं। सरकार ने पिछली बार भी कोलिजियम की सिफारिश वापस भेज दी थी और तत्कालीन सीजेआई जस्टिस टीएस ठाकुर ने हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस शुभ्र कमल मुखर्जी से जांच कराई थी। उस समय भट्ट को क्लीनचिट मिली थी।’