नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर देश भर में बवाल मचा हुआ है। वहीं विदेश में भी इस कानून को लेकर चिंता जताई जा रही है। इस एक्ट पर अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने भी चिंता जाहिर की है।
परिषद ने कहा है, ‘हम चिंतित हैं कि भारत का नया नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 मूल रूप से प्रकृति में भेदभावपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि भारत का सुप्रीम कोर्ट भारत के अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के साथ कानून की अनुकूलता पर सावधानीपूर्वक विचार करेगा।’
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र भारत के नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के प्रभाव की करीब से समीक्षा कर रहा है। इसके पारित होने के बाद देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। महासचिव अंतानियो गुतेरेस के उपप्रवक्ता फरहान हक ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात की जानकारी है कि भारतीय संसद के उच्च व निचले सदन ने नागरिकता (संशोधन) कानून को पारित कर दिया है और हम इस संबंध में सार्वजनिक रूप से व्यक्त की जा रही चिंताओं से भी अवगत हैं। संयुक्त राष्ट्र कानून के संभावित परिणामों को लेकर विश्लेषण कर रहा है।’
हक ने यह भी कहा कि हमारे कुछ प्रतिवेदकों समेत मानवाधिकार तंत्रों ने पहले ही कानून की प्रकृति को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की थीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार रात इस कानून को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह कानून बन गया है। इससे पहले संसद के दोनों सदनों में यह कानून पारित हो गया था।