नई दिल्ली
सीमा पर भारतीय जवानों के साथ चीन की दरिंदगी और बर्बरता सामने आई है। दरअसल ये खुलासा शहीद हुए जवानों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, जवानों के शरीर पर कई गहरे घाव बन गए थे।। 20 शहीद जवानों में 12 घायल जवानों की मौत हाइपोथर्मिया यानी शरीर का तापमान बेहद कम हो जाने और दम घुटने से हुई थी। इस रिपोर्ट के बाद आम लोगों में जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है। लोगों शहादत का बदला लेने की मांग सरकार से कर रहे हैं।
कश्मीर के लेह में मौजूद एसएनएम अस्पताल में शहीद हुए जवानों के शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ था। यहा के स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि 17 जवानों के शरीर पर चोट के गहरे निशान हैं। शायद तीन जवानों की मौत डूबने से हुई है। वहीं, बाकी जवानों पर किसी नुकीले हथियारों से वार किया गया था, जिससे उनके शरीर पर चोट के गहरे निशान थे।
यही नहीं तीन जवानों के चेहरे को इस तरह से क्षत-विक्षत कर दिया गया था कि वे पहचान में भी नहीं आ रहे हैं। जबकि, तीन अन्य जवानों की गर्दन रेतने के निशान मिले थे। चीनी सैनिकों ने नुकीले और लोहे के कांटे लगे रॉड से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था। घायल सैनिकों का सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा है। शहीद सौनिकों से शरीर को देखकर कोई भी विभत्स और दरिंदगी का अंदाज़ा लगा सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अस्पताल में जवानों के शवों की तस्वीरें नहीं लेने का आदेश दिया गया था। रिपोर्ट में सामने आया कि शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू समेत तीन जवानों के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे, लेकिन उनके सिर पर किसी हथियार से हमला किया गया था।
वहीं कुछ जवानों के शरीर पर नाखून चुभोने जैसे निशान भी मिले हैं। चीन के सैनिकों के पास चाकू भी थे। कुछ जवान 14 हज़ार फीट की ऊंचाई से नदी में गिर गए थे। इतनी ऊंचाई पर गलवां घाटी की जमा देने वाली ठंड और दुर्गम क्षेत्र में मदद न मिलने के चलते भी सैनिकों की जान चली गई।