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22 Dec 2024, Sun

नई दिल्ली

देश के राजनीतिक दल और उनकी सरकारें महिला सुरक्षा को लेकर लाख दावें करें लेकिन देश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हैं। यहीं नहीं मासूम बच्चियों के लिए देश सबसे असुरक्षित है। ये आरोप किसी संस्था, व्यकित या राजनीतिक दल का नहीं बल्कि ये आंकड़ा सरकारी हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 18 साल से कम उम्र की कम से कम दो बच्चियां हर घंटे बलात्कार का शिकार हो रही हैं। यानी भारत में हर घंटे दो नाबालिगों के साथ बलात्कार होता है।

साल 2016 में 44 फीसदी बच्चियों का अपहरण किया गया था। रिपोर्ट में यह खुलासा भी किया गया है कि 18 साल से कम उम्र की बच्चियां इसकी आसान शिकार होती हैं। बलात्कार की बढ़ती घटनाओं और बच्चों के साथ बढ़ रहे अपराधों और हिंसा की यह रिपोर्ट नेशनल क्राइम रिकोर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी), नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट (एनसीपीसीआर) और चाइल्ड फंड इंडिया द्वारा शोध कर जारी की गई है।

छोटे बच्चों के साथ हो रही है हिंसा
साल 2005 में हर दिन 11 बच्चियों के साथ बलात्कार की घटना हो रहीं है। इसमें हर दो घंटे में एक बच्ची के साथ हिंसा का मामला दर्ज हुआ किया गया। 2016 में 46 बच्चियों के साथ बलात्कार, यानी हर घंटे 2 बच्चियां शिकार बनाई गईं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बच्चों के साथ हो रहे शारीरिक दुष्कर्म, दुरुपयोग और हिंसा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़ों की कमी है। राष्ट्रीय नीति होने के बाद भी बच्चों के साथ हो रही हर तरह की हिंसा का आंकड़ा मौजूद नहीं है और न ही इसको पूरी तरह से मॉनीटर ही किया जा रहा है। आंकड़ों में यह भी बताया गया है कि किस तरह से बच्चों के रखवाले ही उनका शोषण कर रहे हैं।

आंकड़ों में यह बताया गया है कि किस तरह से दुनियाभर में 1.3 बिलियन बच्चों को देखभाल करने वाले ही उन्हें कठोर अनुशासन में रखते हैं। यही नहीं बच्चों के लिए शारीरिक दंड दिए जाने पर प्रतिबंध है लेकिन बच्चों के साथ एक साल की उम्र में ही बच्चों के साथ शारीरिक उत्पीड़ण शुरू हो जाता है।