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17 Oct 2024, Thu

चंचल बीएचयू

वाराणसी, यूपी
क्योटो काशी खोज रहा है और देश का तुगलकी निजाम काशी तोड़ कर क्योटी बना रहा है। मशीने लगी हैं, इमारतें गिराने के लिए। क्योंकि ‘गलियां बहुत तंग हैं।‘

बाबा भोले इन्हीं तंग गलियों में ‘कैद’ हैं। अहंकार बोल रहा – ‘बाबा को मुक्त कराएंगे’ . । बनारस की जो कई खूबियां है उसमें एक तंग गलियां भी हैं। इन गलियों का अपना स्वाभिमान भी है। मसलन ‘बिसुनाथ गली’ (विश्वनाथ गली) . । इस गली में दो लोग भी एक साथ अगल बगल हो कर गली नही पार कर सकते, लेकिन बनारस को कभी कोई शिकायत नहीं रही।

विदेशी पर्यटक यहां आते हैं गली देखने। इस गली में न कभी छिनैती हुई न छेड़छाड़। क्योंकि गली का हर दुकानदार आपकी सहूलियत का रखवाला है, इज्जत का भी। क्योंकि यह डगर बाबा के काबे की ओर जाती है। यहां श्रद्धा है, उपासना और करुणा का भाव है।

इसे तोड़ो… कराओ मुक्त बाबा को। अहंकारी मोदी ! तुम्हारे अहंकार पर वह मुस्कुरा रहा है बाबा। हर हर मोदी इस बार दरबदर मोदी होगा। काशी संखनाद करेगा।
हर हर महादेव

(चंचल बीएचयू खाटी के समाजवादी है। वह बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। राजनीतिक, सामाजिक मालों में बेबाकी से लिखते हैं। जौनपुर में रहकर वह समता घर चला रहे हैं।)