लखनऊ, यूपी
मौलाना कल्बे जव्वाद की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के 24 घंटे बाद की शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और हमेशा विवादों में रहने वाले वसीम रिज़वी पर सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज की है। केस दर्ज होने के बाद एक तरफ जहां मौलाना जव्वाद का खेमा खुश नज़र आ रहा है वहीं वसीम रिज़वी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
केंद्रीय जांच एजेंसी यानी सीबीआई ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की सिफारिश के आधार पर सूबे के शिया वक्फ संपत्तियों को गैर कानूनी तरीके से बेचने, खरीदने और हस्तांतरित करने के आरोप में यह मामला दर्ज किया है। वसीम रिज़वी के अलावा वक्फ जमीन का लाभ पाने वाले नरेश कृष्ण सोमानी, विजय कृष्ण सोमानी, वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदेन रिज़वी और निरीक्षक बाकर रज़ा को आरोपी बनाया गया है।
तीन सराकारों के कार्यकाल में अध्यक्ष रहे रिज़वी
दरअसल, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के तौर पर वसीम रिज़वी साल 2008 से लेकर मई 2020 तक कायम थे। इन 12 साल के दौरान सूबे में बीएसपी की मायावती, सपा की अखिलेश यादव और उसके बाद योगी की बीजेपी सरकार रही। पर तीनों सरकारों में अपने रसूख के चलते वसीम रिज़वी अपनी कुर्सी पर कायम रहे। 2017 में सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार के आने के बाद भी वसीम रिज़वी शिया वक्फ बोर्ड पर काबिज रहे, पर उनका कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा होने के बाद वक्फ बोर्ड के हटे।
दो एफआईआर दर्ज हुई
वसीम रिज़वी के यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए वक्फ संपत्तियों की गड़बड़ी के मामले में दो एफआईआर दर्ज कराई गई है। वक्फ की संपत्ति को लेकर धोखाधड़ी में 8 अगस्त 2016 को प्रयागराज में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसके बाद दूसरी 2017 में लखनऊ के हजरतगंज थाने में कानपुर की वक्फ संपत्ति को ट्रांसफर करने पर केस दर्ज हुआ था। इन दोनों दर्ज केस के आधार पर वसीम रिज़वी के खिलाफ एफआईआर फाइल हुई है।
क्या है प्रयागराज का मामला
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए वसीम रिज़वी पर मामला साल 2016 में इमामबाड़ा गुलाम हैदर त्रिपोलिया, ओल्ड जीटी रोड प्रयागराज पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण कराने का है। इस मामले में शिकायत हुई तो क्षेत्रीय अवर अभियंता सुधाकर मिश्रा ने 7 मई 2016 को निरीक्षण के बाद पुराने भवन को तोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण को बंद करा दिया था। इसके बाद में फिर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया था। इसे रोकने के लिए शिया धर्मगुरु मौला कल्बे जव्वाद सहित कई लोगों ने सरकार को कई पत्र लिखे, फिर भी निर्माण कार्य बदस्तूर जारी रहा।
इमामबाड़ा गुलाम हैदर में चार मंजिला मार्केट खड़ी कर दी गई थी, जिसको लेकर वसीम रिज़वी के खिलाफ वक्फ कानूनों के उल्लंघन को लेकर 26 अगस्त 2016 को एफआईआर दर्ज कराई गई। रिज़वी के खिलाफ आईपीसी की धारा 447 और 441 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। प्रशासन की ओर से वसीम रिज़वी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में एसर फाउंडेशन के अध्यक्ष शौकत भारती ने प्रयागराज के डीएम से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग तक पत्र लिखा। वसीम रिज़वी के खिलाफ मौलाना कल्बे जव्वाद ने भी शिकायत दर्ज करायी थी।
लखनऊ में दूसरी एफआईआर
वसीम रिज़वी के खिलाफ दूसरी एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को दर्ज की गई थी। ये वही समय था जब सूबे में अखिलेश सरकार की सत्ता से विदाई हुई और योगी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी थी। ये मामला कानपुर देहात के सिकंदरा में शिया वक्फ बोर्ड में दर्ज 2704 की जमीनों के रिकॉर्डों में घपलेबाजी और मुतवल्ली तौसिफुल को धमकाने का था। इस मामले में वसीम रिजवी और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों पर 27 लाख रुपये लेकर कानपुर में वक्फ की बेशकीमती संपत्ति का पंजीकरण निरस्त करने और पत्रावली से कागजात गायब करने का आरोप है।
सीबीआई ने दर्ज किया मामला
सीबीआई की लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने आईपीसी की धारा 409, 420 और 506 के तहत एफआइआर दर्ज की है। इसमें पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदन रिजवी और वक्फ इंस्पेक्टर वाकर रज़ा के अलावा नरेश कृष्ण सोमानी और विजय कृष्ण सोमानी को नामजद किया गया है। इसके अलावा प्रयागराज में हुए वक्फ घोटाले के संबंध में दर्ज एफआईआर में अकेले वसीम रिजवी ही नामजद हैं। शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में गड़बड़ी के दोनों मामलों के संज्ञान में आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद अब सीबीआई ने इसमें वसीम रिजवी सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है।
जानिए वक्फ बोर्ड के बारे में
वक्फ बोर्ड एक कानूनी निकाय होता है, जिसका गठन साल 1964 में भारत सरकार ने वक्फ कानून 1954 के तहत किया था। वक्फ बोर्ड का मकसद भारत में मुसलमानों द्वारा दान की गई इमारतों, संस्थानों और जमीनों के सही रखरखाव और इस्तेमाल को देखना था। वक्फ में चल और अचल दोनों ही संपत्तियां शामिल होती हैं। इसमें कंपनियों के शेयर, अचल संपत्तियों के सामान, किताबें और पैसा भी शामिल होता है। वक्फ बोर्ड शिया और सुन्नियों का अलग अलग होता है। ऐसे में यूपी और बिहार में वक्फ संपत्तियां भी शिया और सुन्नी के बीच बंटी हुई है, जिसके चलते इनके अध्यक्ष भी अलग-अलग होते हैं। इसके अलावा बाकी जगह सिर्फ वक्फ बोर्ड है, जिसमें सारी वक्फ संपत्तियां आती हैं।