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22 Dec 2024, Sun

मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट और दिल्ली के बत्रा अस्पताल के चेयरमैन डॉ उपेंद्र कौल को नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) ने समन किया है। एक खबर के मुताबिक, ऐसा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ कमेंट करने के लिए किया गया।

हालांकि, NIA ने क्विंट को कंफर्म किया कि डॉ उपेंद्र कौल को जम्मू-कश्मीर आतंकी फंडिंग मामले में एनआईए ने गवाह के रूप में एग्जामिन किया था। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता, डॉ समीर कौल को भी NIA ने इस महीने की शुरुआत में अनौपचारिक बातचीत के लिए बुलाया था।

CARDIOLOGIST UPENDRA KAUL SUMMONED NIA FOR CRITICAL VIEWS ON ARTICLE 370 2 310819

नोटिस की कॉपी मौजूद है। नोटिस सोशल मीडिया पर चली। NIA से बातचीत में पता चला कि नोटिस सही है। इसमें कहा गया है कि उपेन्द्र कौल NIA ऑफिस में पूछताछ के लिए आएं। लेकिन NIA से अधिकारियों ने इस बात का खंडन किया है। NIA के अधिकारी ने हमसे बातचीत में कहा है कि “उपेन्द्र कौल को के एक टेरर फंडिंग केस में बतौर गवाह पूछताछ के लिए समन भेजा गया है।”

सोशल मीडिया पर लिखा जाने लगा है कि उपेन्द्र कौल ने आतंकियों की मदद की थी, इस वजह से NIA ने उन्हें नोटिस भेजा है।

कौल ने आर्टिकल पर क्या कहा था
पद्मश्री से सम्मानित डॉ कौल हाल ही में NDTV के एक टॉक शो में शामिल हुए थे, जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाने की आलोचना की थी। घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का जिक्र करते हुए, डॉ कौल ने कहा कि 1990 में जो हुआ वो ‘बुरा’ था और इसमें उनके बहुत से रिश्तेदारों को वहां भगा दिया गया है।

फिर, कश्मीर के मौजूदा हालातों पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने पूछा, ‘क्या ये बदला है? 1992 में क्या हुआ था, क्या अब हम कश्मीरी मुस्लिमों से बदला ले रहे हैं या कश्मीरियों से?’

डॉ उपेंद्र कौल यासीन मलिक के सहयोगी हैं।यासीन मलिक पर कई आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं। 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद का अपहरण और 1990 में भारतीय वायु सेना के चार जवानों की हत्या के मामले इसमें प्रमुख हैं।

एनआईए एक अरसे से कई घटनाओं की कड़ियों को जोड़ते हुए यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि घाटी में आतंकी गतिविधियों, सेना के जवानों पर पत्थरबाजी और स्कूल-कालेज सहित सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले में यासीन मलिक का क्या हाथ है।

यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ को केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां निवारक अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया है। आतंकवाद के गंभीर आरोप के मद्देनजर सरकार ने जेकेएलएफ (यासीन मलिक गुट) पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस संगठन के बारे में कहा जाता है कि वह जम्मू एवं कश्मीर की ‘आजादी’ का समर्थन करता है।

गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया था कि कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों को निकालने का यासीन मलिक मास्टरमाइंड रहा है और उनके संहार के लिए जिम्मेदार है। जेकेएलएफ पर भारतीय वायुसेना के चार अफसरों की हत्या का आरोप लगता रहा है।

साथ ही उस पर तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का भी आरोप लगा था। इससे पहले केंद्र ने जम्मू कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया था।

By #AARECH