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21 Nov 2024, Thu

लखनऊ, यूपी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल पर आज विपक्षी दलों की बैठक जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट, लखनऊ में हुई। इसमें ईवीएम में गड़बड़ी पर बैठक में शामिल सभी दल सहमत थे। बैठक में शामिल दल पहले से ही ईवीएम द्वारा चुनाव की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर संदेह व्यक्त करते रहे हैं। बैठक में शामिल सभी दलों के प्रतिनिधियों ने अखिलेश यादव को इस संबंध में पहल करने के लिए धन्यवाद दिया। बैठक में सपा की साझेदार रही कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ वहीं बीएसपी ने भी अपने आप को बैठक से दूर रखा। बैठक में तय हुआ कि एक बार फिर इस संबंध में दोबारा बैठक होगी। सभी दल इस बात पर सहमत हुए हैं कि चुनाव ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से हों।

बैठक में समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, मोहम्मद आजम खां, रामगोविन्द चौधरी, अहमद हसन, नरेश उत्तम पटेल, राजेंद्र चौधरी और एसआरएस यादव शामिल हुए। वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से राकेश, राष्ट्रीय जनता दल से प्रदेश अधअयक्ष अशोक कुमार सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से प्रदेश अध्यक्ष रमेश दीक्षित, कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) से एसपी कश्यप, आम आदमी पार्टी से गौरव माहेश्वरी, जनवादी पार्टी से डॉ संजय चौहान, आरबीएम (गैर राजनीतिक) से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, जनता दल यू (शरद यादव) से प्रदेश अध्यक्ष सुरेश निरंजन भईया जी, अपना दल से पल्लवी पटेल, राष्ट्रीय लोक दल से डॉ मसूद अहमद, शिव करन सिंह समेत कई नेता शामिल हुए।

पीस पार्टी गठबंधन रहा मौजूद
समाजवादी पार्टी की बैठक में पीस पार्टी और निषाद पार्टी को भी बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया गया था। विपक्षी पार्टीयों की बैठक में पीस पार्टी की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मोहम्मद अयूब शामिल हुए जबकि और निषाद पार्टी से डॉ संजय कुमार निषाद खासतौर पर मौजूद रहे। दरअसल इससे पहले पीस पार्टी गठबंधन ने उपचुनाव में सपा का समर्थन किया था और पार्टी अध्यक्ष ने सपा से गठबंधन की बात कही थी।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि अखिलेश यादव की पहल के पीछे यह मंशा है कि चुनाव की निष्पक्षता, पवित्रता और विश्वसनीयता बनी रहे। जनता के मन में ईवीएम को लेकर जो संदेह हैं उससे लोकतंत्र को खतरा है। चुनाव में धांधली की गुंजायश बढ़ती जा रही है। अगर मतदाता का भरोसा उस पर नहीं रहा तो फिर चुनाव के परिणामों पर भी भरोसा नहीं होगा।