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23 Dec 2024, Mon

महापौर पद जीतने के लिए BJP ने मुस्लिम महिला उतारा

भिवंडी, महाराष्ट्र

भिवंडी महानगर पालिका के मेयर पद का चुनाव ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है, बीजेपी कई तरह की पैतरीबाज़ी कर रही है। चुनाव में हार के बाद बीजेपी अब दूसरे दलों में तोड़फोड़ की राजनीति कर रही है। पालिका चुनाव में कांग्रेस ने शानदार सफलता हासिल की थी और उसे 90 में 47 सीटों पर जीत मिली थी। बीजेपी को सिर्फ 19 सीटें मिली थी। कांग्रेस का मेयर बनना लगभग तय माना जा रहा है। पर अंतिम क्षणों अपनी पैतरेबाज़ी से बीजेपी कुछ चमत्कार दिखाना चाहती है।

मुस्लिम महिला नगरसेवक को मैदान में उतारा
भिवंडी से बीजेपी के सांसद कपिल पाटील महानगर पालिका में हार को लेकर काफी परेशान है। अब वो नये पैतरे आज़माने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए सांसद ने बीजेपी से पहली बार जीत कर आई एक मुस्लिम महिला नगरसेवक को महापौर का उम्मीदवार बनाया है। महिला नगरसेवक का नामांकन कराकर सांसद कपिल मुस्लिम कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ उनके भतीजे ने भी नामांकन किया है। ऐसे में लोगों का मानना है कि राजनीति में नए नए आये अपने भतीजे की हार से शर्मिंदा न होना पड़े इसलिए शायद वो नामांकन वापस कराएंगे। इसके साथ ही वह मुस्लिम महिला नगरसेवक को चुनाव लगाएंगे।

बीजेपी ने मुस्लिम महिला पर दांव क्यों खेला
भिवंडी की महानगर पालिका चुनाव में इस बार रिकार्ड मुस्लिम उम्मीदवार जीते हैं। इसमें सबसे ज़्यादा कांग्रेस से 42 जीत कर आएं हैं। बीजेपी से भी एक मु्स्लिम उम्मीदवार ने चुनाव में जीत हासिल की हैं। बीजेपी इसलिए महापौर चुनाव में मुस्लिम कार्ड खेल रही है। दरअसल चुनाव में बीजेपी की जीत की उम्मीद कहीं दिखाई नहीं दे रही है लेकिन चुनाव के समय वह यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि एक मुस्लिम महिला को महापौर का उम्मीदवार बनाया है और मुस्लिम नगरसेवकों को उसे वोट देकर जिताना चाहिए।

प्रतिष्ठा बचाने में लगे सांसद कपिल पाटील
चुनाव से पहले खासदार कपिल पाटील ने अपने भतीजे को आगे कर मेयर बनाने का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने भिवंडी की जनता को खूब सपने दिखाए थे। सीएम फणनवीस की कई बड़ी सभा आयोजित की गई। शहर के लोगों को बड़े-बड़े लालीपाप दिए गए थे परंतु भिवंडी की जनता ने बीजेपी को हार का स्वाद चखा दिया। नतीजे आने के बाद सांसद काफी परेशान हो गए। इसके बाद उन्होंने नई चाल चली और कहा कि जीत भले ही कांग्रेस की हुई हो लेकिन महापौर बीजेपी का बनेगा। इसके लिए सांसद कपिल ने विकास को मुद्दा बनाने की बात कही। अब सवाल ये है कि क्या भिवंडी के विकास के लिए बीजेपी का महापौर होना जरूरी है जबकि प्रदेश और केंद्र में उनकी सरकार पहले से हैं।

शिवसेना ने बीजेपी से मुंह मोड़ा
बीजेपी ने केंद्र और राज्य सरकार में अपनी सहयोगी शिवसेना की तरफ समर्थन पाने के लिए हाथ बढ़ाया। शिवसेना ने जनता के विश्वास को बनाए रखने की बात करते हुए कहा कि वह बीजेपी के साथ नहीं जाएगी। शिवसेना ने जनता के फैसले का सम्मान करने की बात कही।

सपा ने कांग्रेस का समर्थन किया
समाजवादी पार्टी को चुनाव में दो सीटों पर सफलता मिली थी। सपा ने अपने दो नगरसेवक का समर्थन कांग्रेस को दे दिया। इससे कांग्रेस को आर मज़बूती मिली है। कांग्रेस को भरोसा है कि उसे अन्य दल भी समर्थन देंगे। यहीं वजह है कि वो अपनी जीत मान कर चल रही है।

अन्त में…
दरअसल भिवंडी के सांसद ने इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा के जोड़ रखा है। चुनाव से पहले भी सांसद ने कई बार बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी की थी। शायद अपने बड़बोलेपन की वजह से ही बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। सांसद कपिल पाटील अब महापौर के चुनाव में पैतरेबाज़ी कर रहे हैं। सांसद के दावों में कितना दम है और दूसरी तरफ कांग्रेस की रणनीति कितनी कामयाब है ये फैसला 9 जून के महापौर के चुनाव में होगा।