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24 Dec 2024, Tue

यूपी में ये हैं बीजेपी के सबसे पसंदीदा मुसलमान!

लखनऊ, यूपी

उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में 403 सीटों पर बीजेपी ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया था। उस समय पार्टी कई सीनियर नेताओं ने इस मामले पर कहा था कि पार्टी को किसी मुस्लिम को टिकट देना चाहिए था। इनमें सबसे मुखर लखनऊ से सांसद और गृह मंत्री राजनाथ सिंह थे। उसके बाद उमा भारती और मुख्तार अब्बास नकवी ने भी दबी आवाज़ में ही सही ये कहा था कि किसी मुसलमान को टिकट देना चाहिए था।

जब यूपी के रिजल्ट आए तो बीजेपी को दो तिहाई से ज़्यादा बहुमत मिला। चर्चा शुरु हुई कि क्या यूपी में किसी मुसलमान को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा वो तब जब सीएम के नाम पर हिंदूवादी नेता योगी आदित्यनाथ का नाम सामने आया। पर बीजेपी के सूबे के नए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल में एक मुस्लिम चेहरे को भी शामिल किया है। यह नाम है पूर्व क्रिकेटर और मोहसिन रज़ा का। इतवार को लखनऊ के स्मृति उपवन में पद और गोपनीयता की शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्रियों के बाद राज्यमंत्री के तौर पर मोहसिन रज़ा ने भी शपथ ली।

कौन हैं मोहसिन रज़ा
15 जनवरी, 1968 को जन्मे मोहसिन रज़ा लखनऊ के लहने वाले हैं। वे गवर्नमेंट जुबली इंटर कॉलेज से पढ़े हुए हैं। बचपन से ही उन्हें क्रिकेट का शोक था। लखनऊ में कई अकादमी में खेलते हुए वो रणजी टीम में सेलेक्ट हुए। मोहसिन रज़ा साल 1987-1989 के बीच उत्तर प्रदेश की रणजी क्रिकेट टीम में खिलाड़ी थे। वो कभी इंडिया टीम के लिए नहीं खेले। इसके बाद वो टीवी पर क्रिकेट एक्सपर्ट के तौर पर आया करते थे। मोहसिन रज़ा ने क्रिकेट अकादमी की खोली थी।

बीजेपी में हुए शामिल
राजनीति की तरफ उनका झुकाव काफी पहले था लेकिन सही मौके की तलाश में थे। इसके बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए। अखिलेश सरकार के खिलाफ वो टीवी चैनलों पर बड़ी बेबाकी से चर्चा में शामिल होते थे और सवालों का जवाब देते थे। पार्टी ने उन्हें टीवी पर पक्ष रखने के लिए प्रवक्ता बनाया था और वो उस पर खरे उतरे।

मंत्रिमंडल में एकमात्र मुस्लिम नेता
मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल करने को लेकर जानकारों की राय है कि यूपी में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और वक्फ़ बोर्ड समेत कई ऐसे निगम हैं जिनका अध्यक्ष मुस्लिम ही होता है। हालांकि जानकार बताते हैं, चूंकि मोहसिन रज़ा किसी भी सदन के सदस्य नहीं है, ऐसे में नियम के मुताबिक़, उन्हें छह महीने के अंदर विधान मंडल के किसी एक सदन (विधानसभा या विधान परिषद) का सदस्य बनना होगा।