नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश के लिए अपने नये प्रभारी की तलाश में जुट गयी है। उत्तरप्रदेश के मौजूदा प्रभारी व पार्टी के सबसे सीनियर महासचिव ओम माथुर ने केंद्रीय नेतृत्व से इस जिम्मेवारी से स्वयं की मुक्त करने का आग्रह किया है। सूत्रों के अनुसार, संगठन के एक व्यक्ति से नाराजगी की वजह से उन्होंने राज्य के कामकाज से स्वयं को अलग कर रखा है। ऐसे में आम चुनाव में महज नौ महीना शेष रह जाने के कारण भाजपा राजनीतिक रूप से बेहद अहम इस राज्य के लिए नये प्रभारी की तलाश में जुट गयी है।
इस क्रम में सबसे आगे भूपेंद्र यादव का नाम आता है। भूपेंद्र यादव भी ओम माथुर की तरह राजस्थान से आते हैं और राष्ट्रीय स्वयं संघ से सांगठनिक सबक सीखा है। पार्टी ने भूपेंद्र यादव को पहले भी कई अहम राज्यों की जिम्मेवारी सौंपी है। अगर पांच महीने बाद होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र यादव को सीधे तौर पर सक्रिय नहीं किया जाता है या अन्य चुनावी राज्यों मसलन मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेवारी नहीं सौंपी जाती है तो इस बात की प्रबल संभावना है कि उन्हें उत्तरप्रदेश का प्रभारी बनाया जाये।
उत्तरप्रदेश में पार्टी ने पिछले आम चुनाव में 80 में स्वयं 71 लोकसभा सीटें और अपने सहयोगियों के साथ 73 सीटें जीत ली थी। फिर पिछले साल मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में भी उसने 80 प्रतिशत से ज्यादा सीटों पर कब्जा किया। पर, बाद के उपचुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उसे गोरखपुर जैसी हाइप्रोफाइल लोकसभा सीट सहित फूलपुर व कैराना जैसी अपनी सीट गंवानी पड़ी। अखिलेश यादव की सपा, मायावती की बसपा, अजीत सिंह का रालोद एवं कांग्रेस ने वहां एक तरह का महागंठबंधन बना लिया है, जो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है।
ऐसे में इस महगंठबंधन को मात देने के लिए उसे अपने सामाजिक आधार को बढ़ाना होगा, पिछड़ों व दलितों के बीच विश्वास को मजबूत करना होगा। मौजूदा समय में राज्य में ठाकुर मुख्यमंत्री व ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष हैं. ऐसे पिछड़ी जाति के प्रभारी महासचिव नियुक्त किये जाने से भी एक अच्छा संदेश जायेगा। हालांकि प्रभारी नियुक्ति में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अंतिम सहमति संगठन के लिए सबसे अहम होगी।