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22 Nov 2024, Fri

क्रिकेट बैट से अधिकारी को पीटने के आरोप में जेल में बंद भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय को आज रिहा कर दिया गया। शनिवार को भोपाल सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश सुनाया था। आकाश को नगर निगम अधिकारी को बैट से पीटने के आरोप में 26 जून को इंदौर में गिरफ्तार किया गया था।  रिहाई के बाद आकाश पहले भाजपा कार्यालय गए। इसके बाद वे अपने घर जाएंगे। जहां दिनभर उनका भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात का कार्यक्रम है। विधायक आकाश ने जेल से निकलने के बाद कहा, ‘क्षेत्र की जनता के लिए हम आगे भी काम करते रहेंगे। जेल में समय अच्छा बीता।’

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब एक महिला को पुलिस के सामने घसीटा जा रहा था, मैं कुछ और करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था, जो मैंने किया उस पर शर्मिंदा नहीं हूं लेकिन मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वो दोबारा बल्लेबाजी करने का अवसर न दें।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय की जमानत याचिका पर शनिवार को भोपाल की जिला एवं सत्र न्यायालय पर सुनवाई पूरी हुई थी। दोनों पक्ष के वकीलों की दलील सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश सुरेश सिंह ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बाद में न्यायधीश सुरेश सिंह ने विधायक आकाश को 50 हजार रुपये की जमानत राशि पर छोड़े जाने का आदेश सुनाया। आकाश को इंदौर शहर में मुख्यमंत्री कमलनाथ का पुतला जलाने के मामले में भी 20 हजार के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई है। सुनवाई के बाद इंदौर से केस डायरी लेकर भोपाल पहुंचे एसआई के हाथ से ही विधायक की जमानत अर्जी को इंदौर भेज दिया गया।

क्या है मामला 

बुधवार को इंदौर-3 विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गए आकाश विजयवर्गीय ने जर्जर मकान को ढहाने पहुंचे निगम अधिकारी की बल्ले से पिटाई कर दी थी। उनकी निगम कर्मचारी से पहले बहस हुई थी। अपने कृत्य को लेकर उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि- पहले आवेदन, फिर निवेदन और फिर दे दनादन के तहत कार्रवाई की जाएगी।

गुरुवार को विधायक आकाश की जमानत अर्जी को अदालत ने खारिज कर दिया था। दूसरी जमानत अर्जी को भी एडीजे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद भोपाल के जिला एवं सत्र न्यायालय में जमानत अर्जी दायर की गई थी।

जानकारों ने बताया कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के अनुसार यदि आकाश के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज हुआ है, वह ट्रायल के दौरान साबित हो जाती हैं तो वह चुनाव लड़ने के अयोग्य हो सकते हैं। यह समय सीमा सजा सुनाने की तिथि से छह साल तक प्रभावी होगी।

आकाश के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने, मारपीट और बलवा के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है। इनमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 और 148 के तहत कम से कम दो साल और अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। केस में फैसला आने के समय अगर आकाश विधायक पद पर बने रहते हैं तो सजा को तीन महीने तक टाल दिया जाएगा। इस दौरान वह नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं।

By #AARECH