डॉ अशफाक अहमद
लखनऊ, यूपी
यूपी में सत्तासीन समाजवादी पार्टी में आए भूचाल को बीजेपी अपने लिए बेहतर नहीं मान रही है। सपा में मची उठापटक से पार्टी का कमज़ोर होना बीजेपी को रास नहीं आ रहा है। बीजेपी को 2017 के विधान सभा चुनाव में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण होने का डर सता रहा है। दरअसल बीजपी नेताओं को अंदेशा सताने लगा है कि मुस्लिम वोट बीएसपी की तरफ जा सकते हैं। ऐससे में अगर दलित-मुस्लिम गठजौड़ बन गया तो बीजेपी की सत्ता में वापसी मुमकिन नहीं होगी। बीजेपी से जुड़े नेताओं का मानना है कि सपा की लड़ाई तो चले लेकिन पार्टी एक रहे ताकि पिछड़े वर्ग का वोट उसकी तरफ आ सके।
बीजेपी के कुछ नेता दबी ज़ुबान में कहते हैं कि बीजेपी की रणनीति रही है कि मौजूदा अखिलेश सरकार पर हमला करके मुस्लिम वोटों का बिखराव होने दिया जाए। पार्टी का यह मानना है कि बीजेपी के खिलाफ जो पार्टी मज़बूती से लड़ती दिखाई देती है, मुस्लिम मतदाता उसी ओर जाता है। फिलहाल सपा के कमज़ोर होने से मुसलमानों के सामने बीएसपी के पाले में जाने का विकल्प पैदा हो सकता है। बीजेपी की कोशिश रही है कि सपा को ही निशाने पर रखा जाए।
बीएसपी को दरकिनार कर अपनी लड़ाई सपा के साथ बताई जाए ताकि मुस्लिम सपा और बीएसपी दोनों पार्टियों के बीच दिग्भ्रमित रहें। बीजेपी लगातार बीएसपी के वोट बैंक में सेंधमारी करके उसे कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी नेताओं का सोचना है कि सपा को ही मुख्य प्रतिद्वंदी रखा जाए इससे मुसलमानों को सपा ही विकल्प लगे। दूसरी तरफ जब बीएसपी प्रमुख मायावती बीजेपी पर हमलावर हों तो मुस्लिम को अपनी पार्टी बीएसपी नज़र आए। इससे सियासी लड़ाई त्रिकोणीय होगी। यही बीजेपी की असल कोशिश है।
कुछ दिनों पहले तक बीजेपी की यहीं रणनीति कामयाब होती दिख रही थी लेकिन मौजूदा सियासी हालात से बीजेपी सकते में है। उसे मुस्लिम वोटों के एकमुश्त बीएसपी की झोली में जाने के अंदेशे को खत्म करने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा। पार्टी के सूत्र यह भी बताते हैं कि बीजेपी लोगों को जोड़ने का जिस तेजी से अभियान चला रही है, और पीएम मोदी की यूपी में लगातार रैलियां हो रही हैं, उससे ध्रुवीकरण की संभावना और ज़्यादा है। दरअसल बीजेपी को डर है कि अगर मुस्लिम-दलित गठजोड़ बन गया तो ऐसी सीटें जहां बीएसपी ने अगड़े वर्ग को टिकट दिया वहीं सवर्ण मतदाता भी जीत के लिए बीएसपी के साथ जा सकता है।
सपा का कमज़ोर होना और बीएसपी का दलित-मुस्लिम गठजोड़ चुनाव में मजबूत होना, बीजेपी के किए कराए मंसूबों पर पानी फेर सकता है। जानकारों का मानना है कि बीजेपी को अब अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करना होगा। उसे अब सत्तारूढ़ सपा के साथ बीएसपी पर भी हमलावर होना होगा। इसके साथ ही अपने अभियानों को और तेज कर जनसमर्थन बढ़ाना होगा। हालांकि प्रदेश के नेता बीएसपी को बीजेपी के लिए के लिए कोई चुनौती नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि जनता सपा के गुंडाराज से त्रस्त है, और बीएसपी में भगदड़ मची है। ये स्थितियां बीजेपी के सत्ता में लौटने पूरी तरह से अनुकूल हैं। अब ये तो वक्त और चुनाव तय करेगा कि बीजेपी के दावों में कितना दम है।