नई दिल्ली
देश के 10 राज्यों में 4 लोक सभा सीट और 1द विधान सभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं। इन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के रुझान आ रहे हैं उनमें यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया और पालघर और नगालैंड की एक लोकसभा सीट शामिल है। वहीं 10 विधानसभा सीटों के रिजल्ट पर भी सियासी दलों की नज़र हैं। ये 10 सीटें हैं- पलुस कादेगांव (महाराष्ट्र), नूरपुर (यूपी), जोकीहाट (बिहार), गोमिया और सिल्ली (झारखंड), चेंगानूर (केरल), अंपाती (मेघालय), शाहकोट (पंजाब), थराली (उत्तराखंड) और मेहेशतला (पश्चिम बंगाल)।
नतीजे गवाह हैं कि उपचुनाव बीजेपी, अमित शाह- मोदी की जोड़ी के लिए लकी साबित नहीं हुए। पिछले चार सालों में जिन-जिन राज्यों में लोकसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए हैं प्रधानमंत्री मोदी की लहर उस सीट को बचाने में असफल साबित हुई है। यहां तक कि हाल ही में बीजेपी के गढ़ बने उत्तर प्रदेश में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जलवा नहीं चल सका और वह खुद अपनी गोरखपुर और फूलपुर की सीट गंवा चुके हैं। यही नहीं बृहस्पतिवार को आ रहे उपचुनाव के नतीजे भी बीजेपी के लिए कोई तोहफा नहीं ला रहे हैं। एकबार फिर बीजेपी अपनी महत्वपूर्ण मानी जाने वाली सीट कैराना को हारती दिख रही है।
मालूम हो कि आज उपचुनाव वाली चार लोकसभा सीटों में यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया, पालघर और नगालैंड की एक-एक सीट के परिणाम बीजेपी के लिए खुशखबरी नहीं ला रहे हैं। शुरुआती रुझानों से ही बीजेपी कई सीटों पर पिछड़ती दिख रही है जिसमें कैराना, महाराष्ट्र की सीट शामिल है।
लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखे जा रहे उपचुनाव के नतीजे कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं क्योंकि सारे विपक्षी दल मिलकर तीसरे गठबंधन की तैयारी कर रहे हैं और इस गठबंधन का असर यूपी में तो पिछले उपचुनाव में देखने को मिला ही था। वही असर आज भी दिखाई दे रहा है। कैराना में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी पार्टियां रालोद उम्मीदवार का समर्थन कर रही हैं। 2019 लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहे देश में विपक्षी पार्टियां कैराना में भाजपा को हरा एक बड़ा संदेश देने की तरफ आगे बढ़ रही हैं।
इस चुनाव में एक बात और समझने की है कि आ रहे है परिणामों के रुझान जो भी हों लेकिन सच्चाई यही है कि इन चार सीटों में से तीन सीटें बीजेपी के खाते में थीं, जबकि नगालैंड सीट उसके सहयोगी दल के पास थी। ऐसे में बीजेपी के सामने अपनी सीटों को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है, क्योंकि पार्टी अगर एक भी सीट हारती है तो सीधे पीएम नरेंद्र मोदी पर सवाल उठने लाजमी हैं। वहीं विपक्ष उपचुनाव जीतने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटा है।
2014 के बाद अभी तक 23 उपचुनाव हुए हैं। बीजेपी सिर्फ चार सीटें ही जीत सकी है और यही नहीं इन चुनावों में वह अपनी छह महत्वपूर्ण सीटें गंवा चुकी है। इन चुनावों में वह कोई एक्स्ट्रा सीट अपने खाते में शामिल करने में विफल साबित हुई है। लोकसभा चुनाव के ठीक बाद मोदी लहर में 2014 और 2016 में दो- दो सीट पर कब्जा तो किया लेकिन 2015, 2017 से लेकर मार्च 2018 में हुए उपचुनावों में बीजेपी को लगातार झटका लगता आ रहा है।