मुजफ्फरपुर
‘मॉब लिंचिंग’ के खिलाफ साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाली 49 हस्तियों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह का मामला बंद करने का पुलिस ने बुधवार को आदेश दिया। मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि मामला बंद करने का उन्होंने आदेश दिया है क्योंकि अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप ‘शरारतपूर्ण’ हैं और उनमें कोई ठोस आधार नहीं है। गौरतलब है कि स्थानीय अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा की एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर पिछले हफ्ते सदर पुलिस थाना में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
शिकायतकर्ता वकील के खिलाफ दायर होगा मुकदमा
एडीजी हेडक्वार्टर जीतेंद्र कुमार का कहना है कि शिकायतकर्ता, सबूत उपलब्ध करा पाने में नाकाम रहा है। यहां तक कि वो वह पत्र भी नहीं दिखा सका जिसके आधार पर उसने केस किया था। इसके साथ यह भी पाया गया कि इस याचिका को दायर करने के पीछे उद्देश्य ठीक नहीं थे। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 और 211 के तहत मुकदमा दायर किया जाएगा।
डिप्टी सीएम सुशील मोदी की प्रतिक्रिया
बिहार के डीप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा है कि 49 लोगों पर राजद्रोह के मुकदमे से बीजेपी का कोई वास्ता नहीं। बीजेपी ने कभी भीड़ की हिंसा का समर्थन नहीं किया। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वालों के विरुद्ध दायर मामले से बीजेपी या संघ परिवार का कोई वास्ता नहीं है।
सुशील मोदी ने कहा कि उस वकील ने चार साल पहले मेरे खिलाफ भी मामला दायर किया था। ऐसे सीरियल लिटिगेंट के ताजा मुकदमे को तूल देकर पुरस्कार वापसी समूह और टुकड़े टुकड़े गैंग के लोग केंद्र सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध साबित करने की मुहिम चला रहे हैं। उनके मुताबिक एक आदती मुकदमेबाज (सीरियल लिटिगेंट) ने महज अखबारी कतरनों के आधार पर देश की 49 हस्तियों के खिलाफ 23 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज करायी, जिसमें अन्य आरोपों के साथ राजद्रोह वाली धारा भी जोड़ दी गई थी।